शर्तों पर आधा-अधूरा खुला Tikri Border : फिलहाल एंबुलेंस और दो पहिया वाहन ही जा सकेंगे, समय भी निर्धारित

शर्तों पर आधा-अधूरा खुला Tikri Border : फिलहाल एंबुलेंस और दो पहिया वाहन ही जा सकेंगे, समय भी निर्धारित
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अभी चार पहिया वाहनों के आवागमन पर रोक बनी रहेगी। संयुक्त किसान मोर्चा की छह नवंबर को प्रस्तावित बैठक में अगला फैसला लिया जाएगा।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

लंबे समय के बाद आखिरकार टीकरी बॉर्डर ( Tikri Border ) शर्तों के आधार पर आधा-अधूरा खुल ही गया। फिलहाल एंबुलेंस और दो पहिया वाहन चालकों के लिए रास्ता खोला गया है। सुबह सात बजे से लेकर रात आठ बजे तक पैदल राहगीरों, दोपहिया वाहन चालकाें और एंबुलेंस को आने-जाने दिया जाएगा। चौपहिया वाहनों के आवागमन पर रोक बनी रहेगी। संयुक्त किसान मोर्चा ( Skm ) की छह नवंबर को प्रस्तावित बैठक में अगला फैसला लिया जाएगा।

दरअसल, किसानों के दिल्ली कूच एलान को देखते हुए गत 26 नवंबर 2020 को टीकरी बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा सीमा) पर बेरिकेडिंग कर दी गई थी। इसके बाद 26 जनवरी प्रकरण के बाद तो कई लेयर की बेरिकेडिंग कर सीमा पूरी तरह से सील कर दी गई। लंबे समय से बंद पड़े टीकरी बॉर्डर के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही थी। लगातार रास्ता खोले जाने की मांग उठ रही थी। इस दिशा में दिल्ली-हरियाणा प्रशासनिक अधिकारियांे की किसानों के साथ बैठकें हुई। हाल ही में जब दिल्ली पुलिस की ओर से बेरिकेड्स हटाने शुरू किए गए तो सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए किसान नेताओं ने अपना पक्ष रखा था। इसके बाद शुक्रवार को हुई बैठक में सहमति नहीं बनी। बेरिकेड्स हटाने को लेकर शुक्रवार की रात को किसान और पुलिस आमने-सामने हो गए थे।

शनिवार की सुबह दिल्ली पुलिस ( Delhi Police ) के अधिकारियों व किसान नेताओं की बैठक हुई। दिल्ली क्षेत्र में हुई इस बैठक में दोनों पक्षों ने अपने अपने मत रखे। इसके बाद किसान प्रतिनिधि मंडल वापस बॉर्डर आया और अन्य नेताओं से चर्चा की। इसके बाद पांच फुट का रास्ता देने पर सहमति बनी। किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि आम नागरिकों की परेशानी को देखते हुए पांच फुट का रास्ता छोड़ दिया है। पैदल राहगीरों, दोपहिया वाहनों और एंबुलेंस को सुबह सात से रात आठ बजे तक आने-जाने दिया जाएगा। रात आठ से सुबह सात बजे तक रास्ता बंद रहेगा। आगामी छह नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है। बैठक में रास्तों को लेकर फैसला लिया जाएगा। जो फैसला लिया जाएगा, किसान उसका पालन करेंगे।

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