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लॉकडाउन का असर लोगों पर ही नहीं बल्कि पशुओं पर भी नजर आ रहा

लोगों के घरों से बाहर न निकलने के चलते बेजुबान बेसहारा गोवंश पर भूख की मार पड़ रही है। हरे चारे की काफी कमी हो गई है। भूख मिटाने के लिए गोवंश दिनभर इधर-उधर भटक रहे हैं।

लॉकडाउन का असर लोगों पर ही नहीं बल्कि पशुओं पर भी नजर आ रहा
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बहादुरगढ़ : सेक्टर-9 मोड़ के पास एक खोर में चारा खाते गोवंश।

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़

कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन का असर केवल लोगों पर ही नहीं बल्कि पशुओं पर भी नजर आ रहा है। लोगों के घरों से बाहर न निकलने के चलते बेजुबान बेसहारा गोवंश पर भूख की मार पड़ रही है। हरे चारे की काफी कमी हो गई है। भूख मिटाने के लिए गोवंश दिनभर इधर-उधर भटक रहे हैं।

बहादुरगढ़ शहर में काफी तादाद में बेसहारा गोवंश हैं। मेला ग्राउंड परिसर, पुराना कोर्ट परिसर, सेक्टर-9 मोड़ सहित कई जगहों पर इनके झुंड देखे जा सकते हैं। इसके अलावा शहर की विभिन्न कॉलोनियों में भी भटकते रहते हैं। बेसहारा गोवंशों के लिए प्रशासन की ओर से तो कोई व्यवस्था नहीं की गई है, लेकिन सामाजिक संस्थाओं ने जगह-जगह चारे के लिए खोर बना रखी हैं। इनमें सामाजिक कार्यकर्ताओं व शहर के आम लोगों द्वारा चारा डाला जाता है। लेकिन इन दिनों लॉकडाउन लागू होने के चलते लोगों का आवागमन कम हो गया है। चूंकि लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे तो खोरों में पर्याप्त चारा नहीं डाला जा पा रहा। हालांकि कुछ संस्थाएं चारा डालती जरूर हैं, लेकिन ये प्रयास नाकाफी हैं। गोवंश की तादाद ज्यादा होने व चारे कमी होने के कारण हालात बिगड़ गए हैं।

जीव प्रेमी सुशील व विनोद ने बताया कि शहर में यदि नंदीशाला होती तो इस तरह के हालात न पैदा होते। गोवंशों को चारे की बहुत कमी महसूस हो रही है। इसके अलावा कुछ लोग अपने पालतू पशुओं को खोरों के पास छोड़ देते हैं। इससे बेसहारा गोवंश को निवाला नहीं मिल पाता। न केवल गोवंश बल्कि हर बेसहार पशु के लिए इन दिनों भोजन के बंदोबस्त करने की जरूरत है। अगर आम नागरिक बाहर नहीं निकल पा रहे तो प्रशासन बेसहारा जीवों के लिए चारे आदि की व्यवस्था करे। गर्मी का मौसम है और भूख के कारण पशुओं की सेहत बिगड़ जाएगी। इसके अलावा भूख इनके स्वभाव को चिड़चिड़ा कर देती है। इससे इनके स्वभाव में बदलाव आएगा।

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