Rohtak में बार-बार आ रहे भूकंप के कारणों का दिल्ली में अध्ययन शुरू

अमरजीत एस गिल : रोहतक
पिछले एक महीने में रोहतक जिले में भूकम्प (Earthquake) के ग्यारह झटके महसूस किए जा चुके हैं। इनमें दस झटकों की तीव्रता 2.1 और 3.0 के बीच रही। जबकि एक भूचाल की तीव्रता 4.6 दर्ज रही। मंगलवार सुबह 3 बजकर 14 मिनट 9 सेकेंड पर पहला झटका और इसके बाद दूसरा झटका सुबह ही 5 बजकर 46 मिनट 6 सेकेंड पर महसूस किया गया। पहले झटके की तीव्रता 2.4 और दूसरे 1.8 दर्ज की गई। नियमित रूप से हिल रही जमीन की भूगर्भीय गतिविधियों का केंद्र सरकार ने अध्ययन शुरू करवा दिया है। जिले में अलग स्थानों पर भूकम्प मापी यंत्र स्थापित करवा दिए गए हैं।
जो भूकम्प मापी यंत्र कुछ दिन पहले ही जिला मुख्यालय पर लघु सचिवालय में स्थापित करवाया गया था। उसको मंगलवार को यहां से हटाकर गांव नौनंद मेें लगवा दिया गया है। इससे जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जिला मुख्यालय पर ठीक से संकेत नहीं मिल रहे थे। इसी वजह से इस यंत्र को नौनंद में लगवाया गया है। ताकि वहां से पूरे सिग्नल मिल सकें। इसके अलावा करौंथा और सांपला में अस्थाई भूकम्प मापी यंत्र स्थापित करवा दिया गया है। इसके अलावा बैंसी गांव में पहले से स्थाई रूप से भूकम्प मापी यंत्र कार्य कर रहा है। बैंसी के अलावा प्रदेश में छह जगहों पर पहले से ही यंत्र लगाए गए हुए हैं। इनमें बहादुरगढ़, झज्जर, पलवल, सोहना, गन्नौर और कुरुक्षेत्र शामिल हैं। इन केंद्रों से भी भूभर्गीय गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। चूंकि एक महीने से रोहतक भूकम्प का केंद्र बना हुआ है। ऐसे में रोहतक में स्थापित चार केंद्र से जो आंकड़े भूगर्भीय गतिविधियों के मिलेंगे। उनका विश्लेषण आने वाले कुछ दिनों में वैज्ञानिक करेंगे।
ऐसे जानें सीस्मोग्राफ के बारे में
भूकंप की तीव्रता और अवधि का पता लगाने के लिए सिस्मोग्राफ का इस्तेमाल किया जाता है। इस यंत्र के जरिए धरती में होने वाली हलचल का ग्राफ बनाया जाता है। जिसे सिस्मोग्राम कहते हैं. इसके आधार पर गणितीय पैमाना (रिक्टर पैमाना) के जरिए भूकंप की तरंगों की तीव्रता, भूकंप का केंद्र और इससे निकलने वाली ऊर्जा का पता लगाया जाता है। रोहतक में विभिन्न स्थानों पर तीन अस्थाई सिस्मोग्राफ सेंटर फॉर सिस्मोग्राफी नई दिल्ली ने अभी स्थापित करवाए हैं।
छोटे भूकम्पों का होगा अध्ययन
सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी नई दिल्ली के वैज्ञानिक जेएल गौतम बताते हैं रोहतक क्षेत्र महेंद्रगढ़-देहरादून फाल्ट लाइन क्षेत्र है। भ्रंश रेखा होने के कारण रोहतक व इसके आसपास के क्षेत्र भूभर्गीय गतिविधियां इस समय हो रही हैं। इसी वजह से यहां नियमित रूप से भूकम्प के झटके लगे रहे हैं। उन्होेंने बताया कि करीब एक दशक से पहले जींद क्षेत्र में भी इस तरह से भूकम्प आते थे। वह क्षेत्र दिल्ली-सरखोदा रिच में आता है। इसलिए वहां उस समय भूकम्प आते थे। लेकिन अब वहां भूगर्भीय गतिविधियां बिल्कुल नहीं हो रही हैं। सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी नई दिल्ली के वैज्ञानिक जेएल गौतम बताते हैं रोहतक क्षेत्र महेंद्रगढ़-देहरादून फाल्ट लाइन क्षेत्र है। भ्रंश रेखा होने के कारण रोहतक व इसके आसपास के क्षेत्र भूभर्गीय गतिविधियां इस समय हो रही हैं। इसी वजह से यहां नियमित रूप से भूकम्प के झटके लगे रहे हैं। उन्होेंने बताया कि करीब एक दशक से पहले जींद क्षेत्र में भी इस तरह से भूकम्प आते थे। वह क्षेत्र दिल्ली-सरखोदा रिच में आता है। इसलिए वहां उस समय भूकम्प आते थे। लेकिन अब वहां भूगर्भीय गतिविधियां बिल्कुल नहीं हो रही हैं।
फाल्ट हो सकती है शांत
वैज्ञानिक जेएल गौतम ने कहा कि हो सकता है कि महेंद्रगढ़-देहरादून फाल्ट लाइन कुछ दिन एक्टिव रहने के बाद शांत हो जाए। उन्होंने बताया कि काफी बार ऐसा होता है कि भूकम्प के झटके इतने हल्के होते हैं कि उसे व्यक्ति महसूस नहीं करता। लेकिन सिस्मोग्राफ इस दर्ज कर लेता है। उन्होंने कहा कि रोहतक और झज्जर में अब जितने छोटे भूकम्प आएंगे, ए सिस्मोग्राफ यंत्र स्थापित होने के बाद रिकॉर्ड में आ जाएंगे। यह देखा जाएगा कि चौबीस घंटे में कुल कितने छोटे भूकम्प आएं। उनकी गहराई क्या रही। जो भूकम्प सबसे पहले रोहतक क्षेत्र में आया था, उससे इन छोटे भूकम्प के झटका विश्लेषण किया जाएगा।
हिदायतें जारी की
भूकंप से होने वाली जन, धन की हानि को कम करने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से मंगलवार के हिदायतें जारी की गई है। प्रशासन का कहना है कि भूकंप से नहीं, बल्कि कमजोर इमारतों के कारण भूकंप आने पर जन हानि होती है। अपने मकान का निर्माण करते समय यह सुनिश्चित करें कि वह आपकी सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है। मकान को भारतीय मानक ब्यूरो की संहिताओं द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप डिजाइन एवं निर्माण करें। भूकंप का पूवार्नुमान लगाना संभव नहीं है। अत: अफवाहों पर ध्यान न दें और न ही अफवाहें फैलाए। भूकंप के दौरान भयभीत न हो, शांत रहें।
सचिवालय भवन से सही नहीं मिल रहा था डाटा
लघु सचिवालय में कुछ दिन पहले स्थापित करवाया गया सीस्मोग्राफ मंगलवार को गांव नौनंद में स्थापित करवा दिया गया है। क्योंकि सचिवालय भवन से डाटा सही नहीं मिल रहा था। -सौरव धीमान,जिला परियोजना अधिकारी आपदा प्रबंधन, रोहतक एवं झज्जर
भूकंप को लेकर कभी भी अफवाहों पर न करें विश्वास
भूकम्प को लेकर कभी भी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। भूकम्प से कभी भी नुकसान नहीं होता है। बल्कि नुकसान इमारतों के गिरने से होता है। जिन व्यक्तियों के भवनों की इमारतें कमजोर हैं, वे सिविल इंजीनियर से इन इमारतों को चेक करवा लें। मैं लोगों से अनुरोध करूंगा कि भूकम्प को लेकर कभी भी अफवाहों पर विश्वास न करें और न खुद अफवाह फैलाएं। -राम स्वरूप वर्मा, डीसी रोहतक
तीन-चार महीने तक डाटा का होगा नियमित विश्लेषण
रोहतक में सभी चारों सीस्मोग्राफ ने डाटा एकत्रित करना शुरू कर दिया। जब भी भूगर्भीय गतिविधि होती है, उसकी जानकारी तुरंत सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी को मिल जाएगी। सीस्मोग्राफ से डाटा जुटाने के लिए रोहतक में प्रोजेक्ट अधिकारी की ड्यूटी लगाई जा चुकी है। यह अधिकारी झज्जर का कार्यभार भी सम्भाल रहें हैं। क्योंकि महेंद्रगढ़-देहरादून फाल्ट लाइन पर झज्जर भी आता है। जेएल गौतम ने बताया कि तीन-चार महीने तक डाटा का नियमित विश्लेषण होगा।
-जेएल गौतम, वैज्ञानिक सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी नई दिल्ली
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