Sonipat : डीसीआरयूएसटी 1 वर्ष में बनाएगा वेले रोबोट व डिवाइस

- विश्वविद्यालय को मिले प्रोजेक्ट व प्रयोगशाला के लिए 80 लाख रुपए
- रोबोट स्वयं करेगा वाहन की पार्किंग, डिवाइस से कुछ ही घंटों में पता लगेगी रिपोर्ट
Sonipat : दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मुरथल ने ऑटोमेटिक पार्किंग पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। इसके बाद रोबोट वाहन को स्वयं पार्क करेगा। विश्वविद्यालय एक ऐसा डिवाइस बनाएगा, जिसके बाद मनुष्य को उसकी रिपोर्ट कुछ ही घंटों में मिल जाएगी। डीसीआरयूएसटी के प्रोजेक्टों को भारत सरकार के डीएसटी व आईआईटी रुड़की ने मंजूरी दे दी है। विश्वविद्यालय को प्रोजेक्ट व प्रयोगशाला के लिए 80 लाख रुपए मिले हैं।
कुलपति प्रो. प्रकाश सिंह ने कहा कि भारत सरकार के डीएसटी व आईआईटी रुड़की द्वारा संयुक्त रूप से आई हब दिव्य संपर्क चलाया जा रहा है। विश्वविद्यालय की तरफ से तीन प्रोजेक्ट पर प्रस्तुति दी गई थी। विश्वविद्यालय के तीनों प्रोजेक्ट को स्वीकार कर लिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. विकास नेहरा के नेतृत्व में पार्किंग की समस्या के निराकरण के लिए वेले रोबोट बनाया जाएगा। भविष्य में रोबोट स्वयं वाहन की पार्किंग करेगा तथा मालिक को वाहन रोबोट ही वापिस करेगा। वेले रोबोट सेंसर के माध्यम से रिक्त स्थान का सदुपयोग करेगा। मनुष्य की बीमारी का पता लगाने के लिए उसके रक्त का सैंपल लिया जाता है, रक्त का सैंपल लेने के बाद जांच के लिए भेजा जाता है, जिसमें समय लग जाता है। लेकिन अब डाॅ. नेहरा के नेतृत्व में विश्वविद्यालय एक ऐसा उपकरण बनाएगा, जिसके मध्य में सैंपल रखने पर कुछ ही घंटों में पता चल जाएगा।
वहीं बायो मेडिकल की असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. गीता के नेतृत्व में 3डी प्रिंटिंग के माध्यम से एक ऐसा सेंसर बनाया जाएगा, जो मनुष्य के वाइटल पैरामीटर, जिसमें क्लोस्ट्रोल व ट्रागिलसराइड को सेंसर के माध्यम से जल्द परिणाम बताएगा। डीसीआयूएसटी को तीनों प्रोजेक्ट एक वर्ष में पूर्ण करने हैं। भारत सरकार के डीएसटी व आईआईटी, रुड़की के आई हब दिव्य संपर्क के माध्यम से विश्वविद्यालय को तीन प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिए 40 लाख रुपए की राशि मिली है। जबकि 40 लाख रुपए ही विश्वविद्यालय में प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिए प्रयोगशाला विकसित करने के लिए मिले हैं। प्रयोगशाला के कोर्डिनेटर प्रो. मनोज दूहन व डाॅ. विकास नेहरा होंगें। विश्वविद्यालय को तीनों प्रोजेक्ट एक वर्ष में पूर्ण करने होंगे।
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