जहरीली हवा : सेहत ही नहीं भविष्य के विकास पर भी दिख रहा ग्रहण

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
औद्योगिक नगरी बहादुरगढ़ में हर साल वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक होता जा रहा है। स्मॉग (धुआं और कोहरा) सिर्फ सेहत ही नहीं बल्कि भविष्य के विकास पर भी ग्रहण लगातर दिख रहा है। सरकार ने हालात को देखते हुए स्कूल बंद कर दिए हैं, निर्माण कार्य पर कागजी रोक लगा दी गई है। इसके अलावा कोयला आधारित उद्योग पर भी ताला लटक गया है।
हर साल सर्दी की शुरूआत में वायु प्रदूषण बढ़़ता है, इसके बावजूद सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर इसे नियंत्रित करने को लेकर कोई ठोस उपाय नहीं किए जाते। स्मॉग की सबसे अधिक मार बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से पीड़ितों पर पड़ रही है। इस समय लोगों की आंखों में जलन, गले में खराश, जुकाम और खांसी सहित अन्य लक्षण आम बात हो गई है। पिछले कई दिन से बहादुरगढ़ के वायु प्रदूषण के स्तर में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
वीसी में की उपायों पर चर्चा
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) का पालन उचित प्रकार से नहीं किया जा रहा है। प्रशासन और सरकारी विभाग सिर्फ औपचारिकता निभाते हैं। एनसीआर के चार जिलों फरीदाबाद, गुरुग्राम, झज्जर, सोनीपत में वायु प्रदूषण के स्तर को काबू करने के लिए मंगलवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से बैठक हुई थी। इसमें प्रदूषण बढ़ाने वाली प्रत्येक गतिविधि पर अंकुश लगाने संबंधी उपायों पर चर्चा हुई थी।
प्रशासन उठा रहा कई कदम
प्रशासन द्वारा तत्कालिक कदम उठाए जा रहे हैं। सड़कों पर पानी का छिड़काव होता दिखाई दे रहा है। कुछ निर्माण कार्य भी बंद किए गए हैं। जहां-जहां निर्माण सामग्री है, उसे ढका जाने लगा है। कूड़ा न जलाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। अधिकारियों ने उद्योगपतियों से आग्रह किया है कि जनहित में प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाएं। इसमें कोयला आधारित औद्योगिक इकाईयों के संचालन पर 22 नवंबर तक रोक लगाने को कहा गया है। हालांकि बुधवार को खिली धूप से स्थिति में सुधार की उम्मीद बढ़ी है।
उद्योग पर नकारात्मक असर
वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर औद्योगिक माहौल पर भी नकारात्मक असर डाल रहा है। इसके ठोस कारण का निदान किए जाने की जरूरत है। सरकार द्वारा कोयला या अन्य प्रतिबंधित इंधन का इस्तेमाल करने वाली औद्योगिक इकाइयां 22 नवंबर तक बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। हालांकि बहादुरगढ़ में कोयले का इस्तेमाल करने वाली औद्योगिकों की संख्या बेहद कम है। उद्यमी भी मानते हैं कि वायु प्रदूषण का बढ़ते स्तर के वास्तविक कारणों को दूर किया जाना चाहिए। यहां की औद्योगिक इकाइयां मानकों के अनुरूप उत्सर्जन करती हैं।
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