एम्स की राह में अब राजस्व विभाग की ओर से नया पेंच फंसा

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी
माजरा में प्रस्तावित एम्स के लिए जिला प्रशासन की ओर से बार-बार आश्वासन दिया जा रहा है कि किसानों की जमीन का मुआवजा देकर उसे सरकार के नाम कराने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। एम्स संघर्ष समिति एक बार फिर से आंदोलन शुरू करने के लिए अल्टीमेटन दे चुकी है। एम्स निर्माण समिति भूमि अधिग्रहण की सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दस्तावेज प्रशासन को सौंप चुकी है। इसी सप्ताह जमीनों की रजिस्ट्री कराने के दावे अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक की ओर से किए जा रहे थे, लेकिन अभी यह कार्य इतना आसान नजर नहीं आ रहा। पहले पास हो चुके जमीन के नक्शे पर राजस्व विभाग की ओर से नया अड़ंगा लगाते हुए जमीन के साथ उस जमीन के टुकड़े को जोड़ने की शर्त रख दी है, जो सरकारी पोर्टल पर चढ़ाया ही नहीं गया था। जमीन अधिग्रहण से पहले ही यह मामला राजनीति की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है।
एम्स के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूरा कराने के लिए एम्स निर्माण समिति ने प्रधान जगदीश यादव के नेतृत्व में कड़ी मेहनत के बाद तमाम शर्तों को पूरा कर दिया गया है। जमीन नहीं देने की जिद पर अड़े किसानों को मनाने के लिए एम्स समिति के पदाधिकारियों ने ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया। रजिस्ट्रियां शुरू कराने की राह में आने वाली हर बाधा को दूर करने के लिए गांव के युवाओं ने भी पूरा सहयोग किया। तीन दिन पूर्व तहसीलदार प्रदीप देशवाल के नेतृत्व में गांव में पहुंची राजस्व विभाग की टीम ने एफसीआर के आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि जो नक्शा एफसीआर के पास भेजा गया है, उसमें जमीन के बीच आ रहे पैच भी साथ जोड़े जाएं। जिस जमीन का जिक्र किया जा रहा है, उसके मालिक पहले ही इंकार कर गए थे। जिस जमीन को नक्शे में जोड़ने की बात कही जा रही है, उस जमीन के मालिक भालखी गांव के हैं। वह अपनी जमीन देने से मना कर चुके हैं, जिस कारण एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन के नक्शे में उस जमीन के टुकड़े को शामिल नहीं किया गया था।
सरकार ने एम्स के लिए 200 एकड़ जमीन की शर्त रखी थी। ग्रामीणों ने पोर्टल पर उससे ज्यादा 201 एकड़ 3 कनाल 17 मरला जमीन अपलोड करा दी थी। इसके बाद जो नक्शा तैयार किया गया था, उस पर राजस्व विभाग की ओर से स्वीकृति की मोहर लगाई जा चुकी थी। इस बीच एम्स संघर्ष समिति समय-समय पर इसका निर्माण कार्य शुरू कराने के आंदोलन करती रही। एम्स निर्माण समिति प्रशासन की हर मुश्किल शर्त को भी आसान मानकर पूरा करती रही। करीब एक माह से प्रशासन की ओर से किसानों को लगातार आश्वासन दिए जा रहे हैं कि जमीनों को सरकार के नाम कराने प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। इस बीच एम्स निर्माण समिति के पदाधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से उनके दिल्ली निवास पर गत सप्ताह मुलाकात की थी। केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश सरकार के चीफ सेके्रटरी व रेवाड़ी के डीसी से फोन पर संवाद करने के बाद आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह में रजिस्ट्रियों का कार्य शुरू हो जाएगा।
नक्शे की बाउंड्री सीधी करने की थोंपी शर्त
एम्स निर्माण समिति की ओर से किसानों की जमीन पोर्टल पर अपलोड कराने के बाद जो एम्स की जमीन का जो नक्शा तैयार कराया था, उस पर राजस्व विभाग की ओर से स्वीकृति की मोहर लगाई जा चुकी थी। इसके बाद समिति के पदाधिकारियों ने संबंधित भूमालिकों को मिलने वाले जमीन के मुआवजे से संबंधित तमाम औपचारिकताएं पूरी कराई थीं। 4 दिन पहले चंडीगढ़ में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेने के बाद तत्कालीन डीसी यशेंद्र सिंह ने इस सप्ताह जमीन की रजिस्ट्रियां शुरू कराने का आश्वासन दिया था, पंरतु राजस्व विभाग के निदेशालय की नई शर्त ने एक बार फिर से उम्मीदों पर पानी फेरने का कार्य किया है।
एम्स संघर्ष समिति का अल्टीमेटम
एम्स संघर्ष समिति की गत सप्ताह प्रधान श्योताज सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया था कि एम्स के नाम पर क्षेत्र के लोगों को बरगलाया जा रहा है। अगर किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया 10 मई तक शुरू नहीं हुई, तो संघर्ष समिति एक बार डीसी से मिलने के बाद अपना आंदोलन शुरू कर देगी। समिति के प्रधान ने स्पष्ट चेतावनी दी थी कि इस बार उनका आंदोलन 'आर-पार' का होगा। एम्स निर्माण समिति के प्रधान जगदीश यादव ने भी संघर्ष समिति के सुरों में सुर मिलाते हुए कहा है कि प्रशासन की सभी शर्तों को पूरा कराने के लिए समिति ने पूरी ताकत लगाई है। इस तरह नक्शे पर आपत्ति लगाकर इस मामले को टालने का प्रयास किया जा रहा है।
डीसी के तबादले के कारण रजिस्ट्रियों के कार्य में कुछ देरी हो सकती है। नक्शे को लेकर मेरी स्वास्थ्य विभाग के एसीएस से बात हो चुकी है। वर्तमान नक्शे के आधार पर ही जमीन का अधिग्रहण कराने के निर्देश दिए जा चुके हैं। इस मामले में सरकार और सीएम की नीयत पूरी तरह साफ है। रजिस्ट्रियों का कार्य जल्द शुरू कराने के लिए अधिकारियों से कहा गया है। -डा. बनवारीलाल, कैबिनेट मिनिस्टर।
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