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गर्मी बढ़ा रही डिप्रेशन : बढ़ते तापमान से बिगड़ रहा शरीर का नर्वस सिस्टम, बर्दाश्त करने की क्षमता हो रही कम

सामान्य अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डा. राजेश यादव के अनुसार गर्मी का असर शरीर के नाड़ी तंत्र पर पड़ता है। इससे दिमाग प्रभावित होने लगता है। मनुष्य की निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे वह गलत कदम उठाने को भी मजबूर हो सकता है। डिप्रेशन के शिकार लोगों पर गर्मी का ज्यादा असर पड़ता है।

गर्मी बढ़ा रही डिप्रेशन : बढ़ते तापमान से बिगड़ रहा शरीर का नर्वस सिस्टम, बर्दाश्त करने की क्षमता हो रही कम
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रेवाड़ी : सामान्य अस्पताल भवन, मनोरोग विशेषज्ञ डा. राजेश। 

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी

मौसम का गर्म मिजाज शरीर के नर्व सिस्टम को काफी प्रभावित करता है। गर्मी के साथ ही एक ओर जहां मनोरोगियों की संख्या बढ़ जाती है, वहीं सहनशक्ति कम होने से निर्णय लेने की क्षमता पर विपरीत असर पड़ता है। मई माह से लेकर अब तक औसत हर दिन घर से एक व्यक्ति या महिला लापता हो रहे हैं। पुलिस थानों में हर माह 30 से 35 केस गुमशुदगी के दर्ज हो रहे हैं। इनमें युवाओं और महिलाओं की संख्या अधिक है।

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब 3 माह के अंतराल में जिले के विभिन्न थानों में 100 से अधिक केस लापता होने के दर्ज हो चुके हैं। पुलिस यह केस दर्ज करने के बाद फाइल बंद कर देती है। इसके बाद गायब लोगों को तलाश करने का जिम्मा उनके परिजनों पर ही होता है। करीब 10 फीसदी लोगों को ही पता चल पा रहा है। अन्य लोगों को जमीन खा रही है या आसमान निगल रहा है, इसका किसी को कोई पता नहीं है। अभी तक लापता होने के जो केस दर्ज किए गए हैं, उनमें सर्वाधिक 20 से 30 आयुवर्ग के हैं। महिलाओं, लड़कियों और युवकों की संख्या लगभग समान। 6 महिलाएं बच्चों के साथ लापता हुई हैं, जबकि चार पति को छोड़कर किसी अन्य के साथ जा चुकी हैं।

नर्वस सिस्टम ले जा रहा गलत दिशा की ओर

गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने के साथ ही इंसान का नर्व सिस्टम प्रभावित होने लगता है। सामान्य अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डा. राजेश यादव के अनुसार गर्मी का असर शरीर के नाड़ी तंत्र पर पड़ता है। इससे दिमाग प्रभावित होने लगता है। मनुष्य की निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे वह गलत कदम उठाने को भी मजबूर हो सकता है। डिप्रेशन के शिकार लोगों पर गर्मी का ज्यादा असर पड़ता है। इससे लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार भी हो रहे हैं। सामान्य अस्पताल में इस समय रोजाना 60 से अधिक ऐसे रोगी आते हैं। समय पर इलाज कराने से मनोरोग पर काबू पाया जा सकता है, लेकिन इसमें देरी करने से परिणाम भयावह हो जाते हैं।

प्राइमरी लेवल पर कंट्रोल जरूरी

अगर प्राइमरी लेवल पर डिप्रेशन को कंट्रोल कर लिया जाए, तो इससे कई बीमारियों से बचा सकता है। डिप्रेशन से बचने के लिए लोगों को हैल्दी फूड पर ध्यान देना चाहिए। हरी सब्जियों का अधिक इस्तेमाल करते हुए मसालेदार खाद्य पदार्थों और फास्ट फूड के सेवन से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि अगर लोग नियमित रूप से योग और प्राणायाम को अपनाएं, तो वह डिप्रेशन से आसानी से बाहर निकल सकते हैं। साथ ही डिपे्रशन के आरंभिक स्तर पर अकेले रहेने की बजाय दोस्तों के साथ समय बिताना चाहिए।

एंग्जायटी डिसआर्डर समस्याओं की जड़

उन्होंने बताया कि एंग्जायटी डिस्ऑर्डर से विभिन्न तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इनमें ब्लड प्रेशर का लो या हाई होना और डायबिटिज जैसी बीमारी एंग्जायटी डिसऑर्डर का ही परिणाम होती हैं। इसमें मरीज को घबराहट और बेचैनी होती है। उन्होंने बताया कि पैनिक डिसऑर्डर से चेस्ट पेन और हर्ट जैसी समस्याएं होती हैं। कई बार मरीज हर्ट, चेस्ट या पेट में दर्द होने की शिकायत करता है, लेकिन उसके साथ वास्तव में ऐसी कोई समस्या होती ही नहीं। उन्होंने बताया कि मरीज को आरंभिक अवस्था में संभाल लिया जाए, तो मनोरोग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।

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