महज तीन पार्ट टाइम कर्मचारियों के भरोसे है नारनौल के रेलवे स्टेशन की सफाई

महज तीन पार्ट टाइम कर्मचारियों के भरोसे है नारनौल के रेलवे स्टेशन की सफाई
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तीन सफाई कर्मचारी सफाई कार्य संभाले हुए हैं, जिस कारण झाडू लगने से होने वाली साफ-सफाई के अलावा खरपतवार पनप रहा है। खरपतवार ने स्टेशन पार्क ही नहीं, अन्य स्थानों पर भी अपनी जगह बना रखी है, जो रेलवे स्टेशन के सौंदर्यकरण को ठेस पहुंचा रहा है।

Narnaul News : कहने को तो नारनौल के रेलवे स्टेशन(Railway Station) को सामान्य से ऊंचा दर्जा दिया गया है और यहां केवल छोटी ही नहीं, लंबे रूटों की सभी बड़ी गाडि़यों का ठहराव भी अनिवार्य किया गया है, लेकिन कमाल की बात है कि रेलवे स्टेशन की सफाई पार्ट टाइम सफाई कर्मचारियों के कंधों पर टिकी है। महज तीन सफाई कर्मचारी सफाई कार्य संभाले हुए हैं, जिस कारण झाडू लगने से होने वाली साफ-सफाई के अलावा खरपतवार पनप रहा है। खरपतवार ने स्टेशन पार्क ही नहीं, अन्य स्थानों पर भी अपनी जगह बना रखी है, जो रेलवे स्टेशन के सौंदर्यकरण को ठेस पहुंचा रहा है।

उल्लेखनीय है कि नारनौल का रेलवे स्टेशन अंग्रेजों के जमाने का बना हुआ है। जिला मुख्यालय एवं आसपास का बड़ा स्टेशन होने के चलते इसका नाम नारनौल था, लेकिन यह साथ लगते गांव पटीकरा की जमीन पर बना हुआ था। बाद में वर्ष 2009 में तत्कालीन रेलवे मंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में यहां की नैरोगेज लाइनों को ब्रॉडगेज रेलवे लाइनों तब्दील शुरू करना किया गया था। उसके साथ ही यहां के रेलवे स्टेशन की लोकेशन भी कुछ बदल गई। पुरानी बिल्डिंग की बजाए नया रेलवे स्टेशन बनाया गया, जो पटीकरा की तरफ बनी पुरानी बिल्डिंग के साथ से शुरू हो जाता है। पहले की तुलना में यह रेलवे स्टेशन काफी विस्तृत एवं सुविधाओं युक्त है। इस स्टेशन से लंबे रूटों की ट्रेन जैसे बांद्रा-चंडीगढ़ सुपरफास्ट एवं जनशताब्दी ट्रेन भी गुजरती है और इन सभी ट्रेनों का ठहराव यहां किया गया है। इससे पहले या तो नीमकाथाना ट्रेन रूकती हैं या फिर रेवाड़ी। लेकिन कमाल की बात यह है कि नारनौल के रेलवे स्टेशन पर सफाई व्यवस्था के पूरे इंतजाम नहीं हैं। स्थाई सफाई कर्मचारी नहीं होने से पार्ट टाइम कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है। यह हालत केवल एक-दो साल की नहीं, बल्कि दशकों से चली आ रही है। पहले केवल दो ही पार्ट टाइम सफाई कर्मचारी थे, अब दो की बजाए तीन पार्ट टाइम कर्मचारी हैं। यह तीनों कर्मचारी रेलवे स्टेशन के उस हिस्से की सफाई कर पाते हैं, जहां स्टेशन बना हुआ है। उस परिसर से बाहर भी यह सफाई करते हैं, लेकिन यहां पार्क एवं अन्य जगहों पर खरपतवार उगा हुआ है। यहां की रिहाशयी कॉलोनी भी सफाई के अभाव में गंदगीयुक्त बनी हुई है। स्टेशन से बाहर निकलते ही सामने की दिशा में पार्क बनाया हुआ है, जिसमें सफाई नहीं हो पाती और वहां पर खरपतवार उगा हुआ है। खरपतवार की वजह से स्टेशन आने वाले लोग इसका सदुपयोग नहीं कर पाते हैं। स्टेशन पर जहां सवारियों के लिए ऑटो लाइनों में लगते हैं, उस तरफ स्टेशन के साथ-साथ भी भारी मात्रा में खरपतवार उगा हुआ है। फुटपाथ को भी खरपतवार ने घेर रखा है। खरपतवार की हालत यह है कि जहां भी सफाई कर्मचारियों का झाडू नियमित रूप से नहीं पहुंच पाता, वहीं पर उसने जड़ें जमाई हुई हैं।

पार्क सिकुड़ेगा, चौड़ा होगा गलियारा

रेलवे स्टेशन के बाहर जहां सवारियों के आने-जाने का गलियारा बना हुआ है और जहां ऑटो सवारियां बैठाते हैं, उस गलियारे की चौड़ाई बढ़ाई जाएगी। यह गलियारा स्टेशन एवं पार्क के बीच बना हुआ है, जिस कारण पार्क को सिकोड़ा जाएगा और गलियारे की चौड़ाई बढ़ाई जाएगी। रेलवे की योजना गलियारे में डिवाइडर बनाने की है, ताकि ऑटो को आने या जाने में आमना-सामना न करना पड़े। साथ ही यात्रियों को भी सुविधा रहे।

पार्ट टाइम लगा रहे हैं कर्मी

रेलवे स्टेशन के अधीक्षक सुरेश शर्मा ने बताया कि स्टेशन को पूरी तरह से साफ-सुथरा बनाकर रखा जाता है। कभी भी कोई चैक कर सकता है। सफाई के लिए पार्ट टाइम के तीन कर्मचारी लगा रखे हैं। स्टेशन के बाहर के एरिया में बरसात के चलते कुछ खरपतवार उग आया है, उसे भी साफ करवाया जाएगा। स्टेशन पर सभी मूलभूत सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जाता है। गंदगी फैलने से रोकने के लिए स्वयं यात्रियों को भी जागरूक बने रहने की आवश्यकता है। पिछले दिनों अमृत महोत्सव के दौरान रेलवे के उच्चाधिकारी यहां आए थे, तब उन्होंने गलियारा में डिवाइडर बनाने तथा पार्क को संकरा करने की बात कही थी। उस पर काम शुरू होना बाकी है।

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