वन विभाग की अनूठी पहल: जंगल को बचाने के लिए आदिवासियों ने किया देवी- देवताओं के नाम पर पेड़ों का नामकरण

जंगल को बचाने के लिए आदिवासियों ने किया देवी- देवताओं के नाम पर पेड़ों का नामकरण
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पेड़ों का नामकरण करते आदिवासी समाज के लोग 

बस्तर जिले में अवैध कटाई को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा नई पहल शुरू की गई है। आदिवासी बाहुल्य बस्तर में ग्रामीणों को पेड़ों के प्रति आकर्षित करने और उनकी रक्षा करने के लिए तरकीब निकाली है।

महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। बस्तर जिले में अवैध कटाई को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा नई पहल शुरू की गई है। आदिवासी बाहुल्य बस्तर में ग्रामीणों को पेड़ों के प्रति आकर्षित करने और उनकी रक्षा करने के लिए तरकीब निकाली है। अब जंगलों के पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने वालों की खैर नहीं होगी। बस्तर के जंगलों को वन माफियाओं से बचाने के लिए अब आदिवासी ग्रामीण ही उनकी रक्षा करने के लिए तैयार हो गए है। कुछ दिनों पूर्व विभाग के अधिकारियों ने आदिवसी समाज की बैठक लेकर उन्हें जागरुक करने की पहल की है।


अब बस्तर के जंगलों में बेशकीमती पेड़ों का नामकरण अंचल की देवी-देवताओं से किया जा रहा है, ताकि इलाके के ग्रामीण उन पेड़ों की पूजा पाठ कर उन्हें सहज रखेंगे। वहीं पूरे बस्तर वन मंडल में माचकोट, तिरिया सहित अन्य इलाकों में ग्रामीणों की बैठक कर उन्हें उनके द्वारा ही पेड़ों का नामकरण किया जा रहा है, जिससे बस्तर के घने वन जंगल को बचाया जा सके। इस अनोखी पहल से विभाग भी काफी खुश नजर आ रहा है और पेड़ों के नाम देवी-देवताओं के रूप में रखने से बस्तर के जंगल बच सकेंगे। साथ हो विभाग के अधिकरियों के साथ-साथ ग्रामीण आदिवासी समय समय पर जगलों में जाकर पेड़ों की, पूजा कर उन्हें संरक्षित कर सकेंगे।

देवी-देवताओं को पेड़ों का संरक्षक बन सके
बस्तर जिले के वन मंडलाधिकारी उत्तम कुमार गुप्ता ने बताया कि जंगल को बचाने गांवों में ग्रामीणों की बैठक लेकर पेड़ का नामकरण देवी-देवताओं करने की समझाईश दी जा रही है। इससे जंगल को बचाया जा सके। साथ ही देवी-देवताओं को पेड़ों का संरक्षक बना रहे है, इसके बाद ग्रामीण उस पेड़ को पूजने लगेंगे।

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