Bike Taxi: बाइक टैक्सी बैन पर सरकार को फटकार, कर्नाटक HC बोला-यह लोगों की जरूरत

कर्नाटक हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी: बाइक टैक्सियाँ हैं जरूरी, न कि विलासिता
Bike taxi Ban Karnataka HC : बाइक टैक्सियों का संचालन प्रतिबंधित किए जाने पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने राज्य सरकार के इस कदम को गैरकानूनी बताते उसके तर्क को खारिज कर दिया। कहा, बाइक टैक्सियाँ विलासिता नहीं, बल्कि शहरी जरूरत हैं। दरअसल, बाइक टैक्सियां प्रतिबंधित कर देने से हजारों लोग बेरोजगार हो गए थे। आमयात्रियों को भी परेशानी होने लगी थी।
मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, बाइक टैक्सियाँ सस्ते और सुलभ यातायात का उपयुक्त माध्मम हैं। शहरों में अंतिम-मील कनेक्टिविटी और किफायती यात्रा के लिए इनका संचालन जरूरी है। यह विलासिता नहीं, बल्कि लोगों की जरूरत हैं।
13 राज्यों में बाइक टैक्सियाँ, सिर्फ कर्नाटक में बैन क्यों?
- हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, भारत के 13 राज्यों ने बाइक टैक्सियों को शहरी गतिशीलता का कानूनी और महत्वपूर्ण हिस्सा माना है। फिर कर्नाटक में ही रोक क्यों?।
- कोर्ट ने कर्नाटक सरकार के उस तर्क को भी खारिज कर दिया, जिसमें प्रतिबंध के लिए मोटर वाहन अधिनियम का हवाला दिया था।
- पीठ ने कहा, नियमों का अभाव ऐसे व्यापक प्रतिबंध को उचित नहीं ठहरा सकता, जो लोगों को अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत उनके आजीविका के अधिकार से वंचित करता है।
अदालत का बड़ा आदेश: फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं
हाईकोर्ट ने बाइक टैक्सी संचालकों को राहत देते हुए महाधिवक्ता को निर्देशित किया कि बाइक टैक्सी चालकों पर दंडात्मक कार्रवाई न हो। महाधिवक्ता ने आश्वास्त किया कि मामले को सरकार के उच्चतम स्तर पर नीतिगत फैसले के लिए उठाया जाएगा। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होनी है।
नीतिगत भेदभाव का शक
हाईकोर्ट ने पूछा-सरकार ने क्या जानबूझकर बाइक टैक्सियों को बाहर करने का फैसला लिया है? साथ ही चेतावनी दी कि ऐसे कदम को ठोस कानूनी आधार के बिना नहीं उठाया जा सकता।
बाइक टैक्सी वेलफेयर एसोसिएशन खुश
बाइक टैक्सी वेलफेयर एसोसिएशन ने कर्नाटक हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। कहा, वे सरकार के साथ मिलकर सुरक्षित, कानूनी और टिकाऊ संचालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
