World Diabetes Day 2025: बच्चों में तेजी से बढ़ रहा शुगर का खतरा, जानें डायबिटीज के लक्षण और बचाव के तरीके

World Diabetes Day 2025
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इस समय देश-दुनिया में करोड़ों लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं और करोड़ों लोग इसके लिए हाई रिस्क पर हैं। हालांकि अभी तक इस रोग का सटीक उपचार नहीं खोजा गया है लेकिन अपनी जीवनशैली और डाइट हैबिट में बदलाव करके डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए कैसा हो आपका डाइट रूटीन, जानिए।

World Diabetes Day 2025: किसी दौर में मध्यवय की बीमारी समझी जाने वाली डायबिटीज, अब युवाओं और यहां तक कि बच्चों में भी देखी जा रही है। इसकी मुख्य वजह है, गलत खान-पान, असंयमित जीवनशैली, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और नींद की अनियमितता। दुनिया भर में टाइप-2 डायबिटीज की दर बढ़ रही है। टाइप-2 डायबिटीज दृष्टि हानि और अंधेपन, गुर्दे फेल होने की समस्या, दिल के दौरे,स्ट्रोक, संक्रमण और यहां तक कि समय से पहले मृत्यु का एक प्रमुख कारण बन रही है। प्री-डायबिटीज यानी,(उच्च रक्त शर्करा जिससे पूर्ण मधुमेह होने का उच्च जोखिम होता है) से पीड़ित 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती। और पूर्ण मधुमेह से पीड़ित चार में से एक व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि उन्हें यह रोग है। शोध बताते हैं कि एक स्वस्थ जीवनशैली मधुमेह होने से रोक सकती है।यहां तक कि इसकेबढ़ने को भी पलट सकती है।

डायबिटीज होने के कारण

डायबिटीज, लाइफस्टाइल से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जो एक बार हो जाए तो पूरी जिंदगी सावधानी बरतनी पड़ती है। जब शरीर में इंसुलिन की कार्यक्षमता कम हो जाती है या शरीर उसका सही उपयोग नहीं कर पाता, तो ब्लड शुगर स्तर असामान्य रूप से बढ़ने लगता है, जिससे डायबिटीज होता है।यह रोग केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और जीवनशैली से जुड़ा हुआ है।बहुत अधिक तनाव, गलत खान-पान, नींद की कमी और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके मुख्य कारणों में से हैं।

हेल्दी डाइट-लाइफस्टाइल से कंट्रोल संभव

हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सही खान-पान और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इस बीमारी को काबू में ही नहीं, बल्कि काफी हद तक रिवर्स भी किया जा सकता है। कुछ आसान आदतों को डेली रूटीन में शामिल करने से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखा जा सकता है, जिससे डायबिटीज पेशेंट्स में इंसुलिन की निर्भरता भी कम हो सकती है।यह 20 वर्षों के चिकित्सा अनुसंधान से सिद्ध हो चुका है।

एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले लोगों को लिया और उन्हें 24 हफ्तों तक आहार और जीवनशैली में बदलाव के साथ एक दवा दी गई, ताकि यह देखा जा सके कि क्या ऐसा करना उनके मधुमेह विकसित होने के जोखिम को कम कर सकता है? इस अध्ययन का मूल लक्ष्य प्रतिभागियों की दैनिक आदतों में बदलाव लाना था। बदलाव के नतीजे सकारात्मक आए।

कारगर है आयुर्वेद-प्राकृतिक चिकित्सा

आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियां भी इस दिशा महत्वपूर्ण साबित हुई हैं। अनेक रिसर्च और केस स्टडीज यह साबित कर चुकी हैं कि केवल अनुकूल आहार, योग, प्राणायाम और हर्बल उपचार से डायबिटीज का प्राकृतिक इलाज संभव है।

भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद, सदियों से मधुमेह जैसे रोगों का इलाज कर रही है। नीम, करेला, जामुन, गुड़मारजैसे हर्ब्स इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ाने में सहायक होते हैं।

आजकल कई आयुर्वेदिक संस्थान इस दिशा मंर कार्य कर रहे हैं। नीम करेला थैरेपी एक अत्यधिक प्रभावी पद्धति मानी जाती है, जिसमें मरीज के पैरों से नीम और करेला का रस शरीर में अवशोषित किया जाता है, जिससे ब्लड शुगर स्तर में आश्चर्यजनक सुधार देखा गया है।

डायबिटीज रिवर्सल में डाइट का रोल

इसके तहत डायबिटीज के अनुकूल आहार लेना जरूरी है। इसका अर्थ है ऐसा भोजन, जो रक्त में शर्करा के स्तर को संतुलित रखे और शरीर को संपूर्ण पोषण भी प्रदान करे।

क्या खाएं: नियमित रूप से अपने भोजन में फाइबर युक्त सब्जियां जैसे लौकी, परवल, पालक, मेथी लें।साबुत अनाज जैसे जौ, रागी, कुट्टू, बाजरा का सेवन करें। इसके उपचार में कुछ प्राकृतिक औषधियां बड़ी उपयोगी हैं। जैसे नीम, करेला, जामुन के बीज।हेल्दी फैट्स जैसे नारियल का तेल, घी (सीमित मात्रा में) लें।पेय पदार्थ में गुनगुना पानी,नीबू पानी, छाछ, हर्बल चाय फायदेमंद है।रक्त शर्करा में वृद्धि को रोकने के लिए कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई)वाला साबुत अनाज,अनप्रिजर्व्ड कार्बोहाइड्रेट चुनें। क्विनोआ, ब्राउन राइस, साबुत गेहूं और ओट्स जैसे खाद्य पदार्थ इसमें शामिल हैं।

क्या न खाएं: इन चीजों से परहेज करें।

  • -मैदा और रिफाइंड चीनी से बनेफूड्स।
  • -पैकेज्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक, जंक फूड।
  • -अधिक तला-भुना और मिर्च-मसालेदार खाना न खाएं।

कम खाएं: कैलोरी सेवन को नियंत्रित करने और जरूरत से ज्यादा खाने से बचने के लिए, खाने की मात्रा पर नज़र रखें। यहां तक कि हेल्दी फूड्स भी जरूरत से ज्यादा खाने पर रक्त शर्करा के असंतुलन का कारण बन सकते हैं।

भोजन का समय फिक्स करें: पूरे दिन रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने के लिए भोजन के समय को नियमित रखें। नाश्ता और खाना स्किल न करें। देर रात भोजन न करें।

रोज सेवन करें ये फायदेमंद चीजें

कुछ चीजें अगर आप अपने डाइटरूटीन में शामिल करें तो बहुत फायदेमंद हो सकता है।

मेथी दाने का पानी: रोज सुबह खाली पेट मेथी दाने का पानी लें।इसके लिए रात को एक चम्मच मेथी दाना थोड़े से पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट उस पानी को पी लें। मेथी दाने में फाइबर अच्छी मात्रा में मौजूद होता है, जो शरीर में कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा करके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से बचाता है।

कच्चे प्याज का सलाद: कच्चे प्याज का सलाद खाएं।प्याज खाने से ब्लड शुगर कुछ ही घंटों में कम होने लगता है। सिर्फ 100 ग्राम कच्चा प्याज खाने से 4 घंटे के भीतर शुगर लेवल में गिरावट आती है। प्याज खाने से शरीर का इंसुलिन रिस्पॉन्स भी बेहतर होता है।

खाने के बाद 500 कदम चलें: रोज दोनों समय भोजन करने के बाद 500 कदम पैदल चलें। ऐसा करने से शरीर की मांसपेशियां एक्टिव होती हैं और हमारा शरीर खून में मौजूद शुगर को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल करता है। इससे ब्लड शुगर नहीं बढ़ता।

रात को आंवला-हल्दी पानी पिएं: रोज रात के समय आंवला और हल्दी का पानी पीने की आदत डालें। आंवले में क्रोमियम होता है, जो इंसुलिन की कार्यक्षमता बढ़ाता है। वहीं, हल्दी भी इंसुलिन को बेहतर बनाकर ब्लड शुगर कम करती है।


(डायटिशियन पिंकी गोयल और संगीता मिश्र से बातचीत पर आधारित)

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