Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024: सादगीपूर्ण जीवनशैली के लिए मशहूर थे शास्त्री जी, जानें उनसे जुड़े 15 इंटरेस्टिंग फैक्ट 

Lal Bahadur Shastri Jayanti
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Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024: लाल बहादुर शास्त्री की सादगी, ईमानदारी और दूरदर्शिता हमेशा लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने विलासिता में डूबे लोगों को सादा जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।

Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ हर साल 2 अक्टूर को लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती मनाई जाती है। विलासिता से कोसों दूर रहने वाले भारत माता के सच्चे सपूत शास्त्री जी देश के दूसरे प्रधानमंत्री (1964-1966) रहे। तब नेहरू जी की मृत्यु के कारण शास्त्री जी को भारत का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। इससे पहले उन्होंने 1961-1963 के बीच छठे केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में भी देश की सेवा की। इसके साथ ही शास्त्री जी ने भारत के तीसरे विदेश मंत्री और रेल मंत्री का भी कार्यभार संभाला। अपने अभूतपूर्व कार्यों के लिए शास्त्री जी को 1966 में देश के सबसे बड़े पुरस्कार भारत रत्न से अलंकृत किया था। लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन हमेशा प्रेरणादायक, साहसिक और अनुकरणीय है। आइए, जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य...

1) जन्म और प्रारंभिक जीवन
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय (अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर) में हुआ। जब शास्त्री डेढ़ वर्ष के थे, तभी उनके पिता श्री शारदा श्रीवास्तव की का निधन हो गया था, जिसके कारण उनका जीवन आर्थिक तंगी में गुज़रा। उन्होंने अपने नाना के यहां रहकर प्राथमिक शिक्षा पूरी की। पढ़ाई के प्रति लगन इतनी थी कि वे तैरकर नदी पार कर स्कूल जाते थे।

2) लाल बहादुर को कब मिली शास्त्री की उपाधि
काशी विद्यापीठ से ‘शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त करने के बाद लाल बहादुर ने अपने नाम से जातिसूचक शब्द 'श्रीवास्तव' को हटाने का फैसला कर लिया और हमेशा के लिए ‘शास्त्री’ नाम अपना लिया।

3) गांधी जी से थे प्रभावित, दहेज में चरखा लिया
16 मार्च 1928 को लाल बहादुर शास्त्री जी का विवाह ललिता देवी के साथ हुआ। वे महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे, इसलिए दहेज में उन्होंने एक चरखा और कुछ गज़ कपड़ा लिया, जो उनकी सादगी और नैतिकता को दर्शाता है।

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4) स्वतंत्रता संग्राम में शास्त्री जी की भूमिका
लाल बहादुर शास्त्री एक कांग्रेसी नेता थे, जिन्होंने असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई और कई बार जेल भी गए।

5) बसों में महिला कंडक्टर्स की नियुक्ति कराई
देश की आजादी के बाद जब वे उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री बने, तो उन्होंने पहली बार सरकारी बसों में महिला कंडक्टरों की नियुक्ति की। ट्रांसपोर्ट में आरक्षित सीटें और भारतीय रेलवे में थर्ड क्लास की शुरुआत भी शास्त्री जी की देन है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को लाभ मिला।

6) उग्र भीड़ को काबू करने पानी की बौछार का प्रयोग
लाल बहादुर शास्त्री ने भारत सरकार में छठे गृह मंत्री के रूप में भी जिम्मेदारी संभाली थी। तब उन्होंने महत्वपूर्ण सुधार करते हुए भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज बंद कराया और इसकी जगह पहली बार पानी की बौछार का इस्तेमाल किया, जो प्रदर्शनकारियों पर एक कम जोखिम वाला उपाय था।

7) रेल हादसा के बाद दे दिया था इस्तीफा
लाल बहादुर शास्त्री जी ने भारत सरकार में तीसरे रेल मंत्री के रूप में भी कार्यभार संभाला। 1956 में एक रेल हादसे के बाद उन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। यह उनकी ईमानदारी और जिम्मेदारी का प्रतीक था।

8) एक मंत्री कैसा होना चाहिए?
शास्त्री जी ने रेल मंत्री रहते हुए यह बात कभी अपनी मां को नहीं बताई। बल्कि उन्होंने मां से कहा था- मैं रेलवे में काम करता हूं। एक बार रेलवे के समारोह में शास्त्री जी की मां उनके बारे में पूछते हुए आईं कि मेरा बेटा भी वहां होगा क्योंकि वो रेलवे में काम करता है। तब लोगों ने उनसे बेटे का नाम पूछा, जिसे सुनकर सभी हतप्रभ रह गए, सबको लगा कि बुजुर्ग महिला झूठ बोल रही हैं। फिर उन्हें कार्यक्रम में मौजूद लाल बहादुर शास्त्री के पास ले जाकर पूछा कि क्या यही आपका बेटा है? तब मां ने कहा- "हां यही मेरा बेटा है।"

9) ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया
1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया, जो आज भी भारतीय जनमानस में प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। इससे देशवासियों का मनोबल ऊंचा हुआ और एकता की भावना प्रबल हुई।

10) जब शास्त्री जी ने अमेरिका को करारा जवाब
भारत में भीषण सूखे की स्थिति के वक्त अमेरिका ने हमें अनाज (गेहूं) देने से इनकार कर दिया, तो शास्त्री जी ने महाशक्ति को करारा जवाब देते हुए कहा था- "हमें नहीं चाहिए तुम्हारे गले-सड़े गेहूं।" उन्होंने देशवासियों से हफ्ते में एक दिन उपवास रखने की अपील की ताकि अनाज की खपत कम हो।

11) लग्जरी लाइफस्टाइल से कोसों दूर थे शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन अत्यंत सादा और विनम्र था। प्रधानमंत्री रहते हुए भी शास्त्री जी के पास केवल 2 जोड़ी धोती-कुर्ता थे।
देश की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए ने अपने निजी खर्चे कम कर दिए थे और देशवासियों से भी यही अपील की थी। वे आजीवन सादगीपूर्ण जीवन जीते रहे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित किया।

12) भारत में दूग्ध क्रांति की शुरुआत की
लाल बहुदार शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए देश में दुग्ध क्रांति को बढ़ावा दिया। उन्होंने गुजरात के आनंद स्थित अमूल कोऑपरेटिव के साथ मिलकर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना की।

13) पाकिस्तान के लाहौर में परचम लहराया
1965 के युद्ध के दौरान लाल बहादुर शास्त्री जी ने बतौर प्रधानमंत्री भारत की तीनों सेनाओं को बखूबी निर्देशित किया और पंजाब के रास्ते लाहौर शहर तक पहुंचकर पाकिस्तान को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।
जिसके बाद पाकिस्तान शांति समझौते के लिए मजबूर हुआ।

14) ताशकंद में शास्त्री जी की रहस्यमयी मौत
जनवरी 1966 में शास्त्री जी की मृत्यु सोवियत संघ के ताशकंद में हुई, उनके रहस्यमयी निधन से आज भी पर्दा नहीं उठ पाया है। जहां वे पाकिस्तान के अयूब खान के साथ शांति समझौता करने गए थे। शास्त्री जी की मृत्यु का कारण दिल का दौरा बताया गया, लेकिन बहुत से लोग मानते हैं कि उन्हें जहर दिया गया।

15) भगत सिंह पर बनी फ़िल्म देखकर रो पड़े
शहीदे आजम सरदार भगत सिंह के जीवन पर बनी फ़िल्म देखकर शास्त्री जी रो पड़े थे।

लाल बहादुर शास्त्री जी की सादगी, ईमानदारी, और दूरदर्शिता उन्हें भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाती है। उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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