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Mobile Side Effects: आजकल ज्यादातर लोग रात में सोने से पहले और सुबह उठते ही मोबाइल देखने लगते हैं। ये आदत दिमाग की सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकती है। इसके साथ ही ऐसा करने से कई अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।

Mobile Side Effects: आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का बेहद अहम हिस्सा बन चुका है। जिस तरह से मोबाइल का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, इससे मोबाइल से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी सामने आने लगे हैं। हाल ही में हुईं कुछ रिसर्च में भी ये बात सामने आई है कि सोने से पहले मोबाइल स्क्रीन देखना हमारे शरीर और दिमाग पर गहरा नकारात्मक असर डाल सकता है। इस आदत की वजह से फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों ही बुरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं। 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, रात के वक्त मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी (blue light) हमारी स्लीपिंग साइकिल को बिगाड़ती है और मानसिक तनाव को बढ़ाती है। इसके अलावा, इससे आंखों की रोशनी, हार्मोन संतुलन और यहां तक कि मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। 

रात में मोबाइल देखने के 5 नुकसान

नींद की गुणवत्ता में गिरावट
मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन के स्राव को प्रभावित करती है, जो कि हमारी नींद को नियंत्रित करता है। जब हम सोने से ठीक पहले मोबाइल देखते हैं, तो दिमाग को लगता है कि अभी दिन है और वह नींद की तैयारी नहीं करता। इसका नतीजा यह होता है कि नींद देर से आती है और ये बार-बार टूटती है। इससे अगले दिन थकान, चिड़चिड़ापन और ऊर्जा की कमी महसूस होती है।

आंखों पर दबाव और रोशनी को नुकसान
अंधेरे में मोबाइल स्क्रीन देखने से आंखों पर ज़ोर पड़ता है, जिससे "डिजिटल आई स्ट्रेन" जैसी परेशानी हो सकती है। आंखें जलना, सूखापन और धुंधला दिखाई देना इसके आम लक्षण हैं। लंबे समय तक यह आदत आंखों की रोशनी कमजोर कर सकती है। कुछ मामलों में डॉक्टरों ने रेटिना डैमेज तक होने की बात कही है, जो परमानेंट ब्लाइंडनेस की ओर ले जा सकती है।

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मानसिक तनाव और चिंता
सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते हुए दिमाग लगातार सक्रिय रहता है, और सोने से पहले यह एक्टिविटी दिमाग को शांत नहीं होने देती। इससे मन में बार-बार विचार आते हैं और चिंता बढ़ती है। कई बार मोबाइल पर निगेटिव न्यूज या पोस्ट भी अगर सोने से पहले देखी जाती हैं, तो ये मानसिक अशांति की वजह बन बनती हैं। यह स्थिति धीरे-धीरे नींद न आना और डिप्रेशन की ओर ले जा सकती है।

हार्मोनल असंतुलन
मोबाइल से निकलने वाली रोशनी हमारे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक को बिगाड़ती है। जब नींद पूरी नहीं होती, तो शरीर के कई जरूरी हार्मोन जैसे ग्रोथ हार्मोन, कोर्टिसोल आदि का स्तर असंतुलित हो जाता है। इससे वजन बढ़ना, त्वचा की समस्याएं, मूड स्विंग और थकान जैसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।

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संबंधों में दूरी और अकेलापन
सोने से पहले मोबाइल में व्यस्त रहना कई बार जीवनसाथी या परिवार से बातचीत का समय छीन लेता है। यह धीरे-धीरे रिश्तों में दूरी और भावनात्मक अलगाव का कारण बन सकता है। मोबाइल की लत इंसान को भावनात्मक रूप से दूसरों से काट देती है, जिससे अकेलेपन की भावना बढ़ती है और सामाजिक संबंध कमजोर होते हैं।

(Disc।aimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ/डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)

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