Jaya Kishori Relationship Tips: प्यार में 'जान दे सकती हूं, लेकिन छोड़ भी सकती हूं', जया किशोरी ने ऐसा क्यों कहा

जया किशोरी
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कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी (File Photo)

Jaya Kishori Relationship Tips: क्या आप रिश्तों की कशमकश में उलझे रहते हैं तो जया किशोरी से जानिए 'डिटेचमेंट' का असली मतलब और रिश्तों को समझने का नजरिया।

Jaya Kishori Relationship Tips: आज के समय में रिश्तों, भावनाओं और अपेक्षाओं के बीच उलझे इंसान के लिए “डिटेचमेंट” शब्द अक्सर गलत समझ लिया जाता है। क्योंकि कई लोग इसे बेरुखी या भावनाओं से दूर रहने के रूप में देखते हैं। लेकिन मशहूर कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने हाल ही में सोशल मीडिया के जरिए इस सोच को नई दिशा देने की कोशिश की है। उनके शब्द न सिर्फ सोचने पर मजबूर करते हैं, बल्कि रिश्तों को देखने का नजरिया भी बदल देते हैं।

डिटैचमैंट को लेकर क्या बोलीं जया किशोरी?

डिटैचमैंट को लेकर जया किशोरी कहती हैं कि, “मेरा डिटैचमेंट गेम बहुत स्ट्रॉन्ग है। अगर मैं किसी से प्यार कर रही हूं, तो जान दे सकती हूं। लेकिन अगर कुछ गलत हुआ, तो मैं आपको नहीं जानती।” यह बात कई लोगों को भावनाहीन लग सकती है, लेकिन असल में इसके पीछे एक गहरी सीख छुपी हुई है। यानी ये बात हमें समझाती है कि, प्यार और आत्म-सम्मान के बीच संतुलन बनाना कितना जरूरी है।

डिटेचमेंट का असली मतलब क्या है?

डिटेचमेंट का मतलब यह नहीं होता कि आप किसी से प्यार न करें या भावनाएं न रखें। इसका असली अर्थ है भावनाओं में रहते हुए भी खुद को खो न देना। डिटेचमेंट सिखाता है कि आप किसी से जुड़ें, लेकिन अपनी खुशी, पहचान और आत्मसम्मान को किसी और के हाथ में न सौंपें। जया किशोरी का कहना यही दर्शाता है कि वे रिश्तों में पूरी ईमानदारी और गहराई से जुड़ती हैं, लेकिन जब कोई रिश्ता उनकी सीमाओं, मूल्यों या आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचाता है, तो वे खुद को उससे अलग कर लेती हैं।

डिटेचमेंट होना क्यों जरूरी है?

आज के दौर में लोग अक्सर रिश्तों में इतना उलझ जाते हैं कि, अपनी पहचान ही भूल जाते हैं। वैसे भी आप सब जानते होंगे कि, ओवर-अटैचमेंट, तनाव और चिंता हमारे जीवन के लिए अच्छी नहीं होती। ऐसे में डिटेचमेंट हमें यह सिखाता है कि, रिश्तों को एन्जॉय करें, लेकिन उन पर निर्भर न हों। दूसरों से प्यार करें, लेकिन खुद के लिए भी सोचना जरूरी है। इसके अलावा जरूरत पड़े तो ‘ना’ कहना सीखें।

आध्यात्मिक सोच से जुड़ा है डिटेचमेंट का सिद्धांत

जया किशोरी की सोच भारतीय आध्यात्मिक दर्शन से भी जुड़ी हुई है। दरअसल, भगवद गीता में भी कहा गया है कि कर्म करो, लेकिन फल की चिंता मत करो। यही सिद्धांत रिश्तों पर भी लागू होता है। जुड़ाव हो, लेकिन अपेक्षा न रखें।

सोशल मीडिया पर क्यों हो रही चर्चा

जया किशोरी का यह वीडियो इसलिए वायरल हो रहा है क्योंकि यह आज की भावनात्मक उलझनों को सीधे शब्दों में बयान करता है। लोग खुद को उनके शब्दों से जोड़ पा रहे हैं और समझ पा रहे हैं कि डिटेचमेंट कोई नेगेटिव चीज नहीं, बल्कि आत्म-संरक्षण का तरीका है।

जया किशोरी का यह संदेश हमें सिखाता है कि प्यार और डिटेचमेंट एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं। आप गहराई से प्यार कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर खुद को अलग भी कर सकते हैं। यही भावनात्मक परिपक्वता की पहचान है।

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