आपके बालों में छुपा है आपका व्यक्तित्व: जानिए कौन सा हेयरस्टाइल बताता हैं आपकी पर्सनालिटी

Hair Personality
Hair Personality: हेयरकट कराना सिर्फ एक फैशन स्टेटमेंट भर नहीं होता है। यह आपके व्यक्तित्व, जीवनशैली और यहां तक कि आपके मूड को भी रिफलेक्ट करता है। हेयर कट किसी के लिए भी उसका निजी फैसला होता है। कुछ महिलाएं ब्रेकअप या कठिन दौर से गुजरने के बादनए स्टाइल में हेयरकट करवाती हैं, ताकि अच्छा महसूस करें। वहीं कुछ के लिए यह अपने ऊपर नियंत्रण करने और आगे बढ़ने का एक तरीका होता है। इससे उनका उत्साह और आत्मविश्वास दोनों बढ़ता है। खुद के प्रति नजरिया भी बदलता है।
हालिया आई फिल्म ‘मेट्रो इन दिनों’ में जब काजोल का किरदार निभाने वाली कोंकणा सेन को अपने पति मोंटी(पंकज त्रिपाठी) से बार-बार धोखा मिलता है, तो वह थोड़ा टूट जाती है। काजोल अपनी जिंदगी को नए सिरे से जीने की कोशिश करती है। उसका पहला कदम होता है, मेकओवर। काजोल अपने बालों को छोटा करा लेती है।
कराता है मुक्ति का अहसास: हेयरकट के जरिए अपने भीतर के बदलाव को प्रकट का ट्रेंड केवल फिल्म में ही नहीं अब रियल लाइफ में भी दिखने लगा है। एडवरटाइजिंग एजेंसी में काम करने वाली नीलिमा के बाल भी काफी लंबे थे, कभी-कभी वह उन्हें ट्रिम करा लेती थी, लेकिन कटाती नहीं थी। एक दिन उसका अपने पार्टनर से झगड़ा हो गया, वह ऑफिस से सीधे पार्लर गई और बरसों के लंबे बालों को बिल्कुल छोटा करा दिया। इस बारे में नीलिमा कहती है, ‘हमारा बाहरी आवरण, रूप-रंग उस व्यक्ति का बोझ ढो सकता है, जो हम पहले हुआ करते थे और आगे वैसा बने नहीं रहना चाहते। अपना मेकओवर करना सुकून देता है, क्योंकि हम अपने फैसले का परिणाम तुरंत देख पाते हैं। वह याद दिलाता है कि हमारा अपने जीवन पर नियंत्रण अब भी बरकरार है। सैलून से बाहर निकलते ही मुझे लगा कि मैं एक नई इंसान हूं। मैंने शारीरिक और मानसिक रूप से हल्का महसूस किया। मेरा पुराना हेयरस्टाइल, पुराना रूप चला गया। मुक्ति का एक गहरा एहसास हुआ।’
नई शुरुआत का प्रतीक: कई लोगों का कहना है कि लड़कियां अकसर ब्रेकअप के बाद अपने बालों को छोटा करा लेती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बाल कटाने से पुरानी यादों को भूलना भी आसान होगा। असल में लड़कियां अपने बालों से भावनात्मक रूप से जुड़ी होती हैं। बावजूद इसके मुश्किल समय आने पर एक नई शुरुआत की तलाश में वे अपने बाल कटवाने से जरा भी नहीं हिचकती हैं। कैंसर सर्वाइवर एक्ट्रेसेस सोनाली बेंद्रे से लेकर हीना खान ने स्पेशल हेयरकट का उपयोग न केवल एक स्टाइल ऑप्शन बल्कि साहस और एक नए अध्याय की शुरुआत की व्यक्तिगत यात्रा को चिह्नित करने के लिए शक्तिशाली बयान के रूप में किया है।
लेखिका नमिता तंत्री के अनुसार, ‘हेयर कटिंग एक अध्याय के अंत और दूसरे की शुरुआत का प्रतीक होता है। यह बदलाव महिलाओं को अपनी भावनाओं को बाहरी रूप से व्यक्त करने और उन्हें मूर्त रूप देने का अवसर देता है।’वास्तव में बालों में महत्वपूर्ण बदलाव अतीत से प्रतीकात्मक रूप से विदा लेने का काम करता है। यह परिवर्तन एक संकेत के रूप में कार्य करता है, जो किसी अध्याय के समापन का संकेत देता है। चाहे वह एक चुनौतीपूर्ण रिश्ता हो, एक कठिन दौर या व्यक्तिगत संघर्ष। बाल कटवाना, व्यक्तिगत निर्णयों पर नियंत्रण और स्वतंत्रता की भावना को पुनः प्राप्त करने का ठोस माध्यम हो सकता है।
हमारे शरीर का आकार कैसा हो, त्वचा कैसी हो, उस पर झुर्रियां न हों, बाल लंबे हों, यह सब हमारे समाज ने लंबे समय से महिलाओं के लिए तय कर रखा है। जरा सोचिए, क्यों ज्यादातर डॉल्स केबालचमकदार और लंबे बनाए जाते हैं? पत्रिकाओं में दिखने वाली ज्यादातर मॉडलों और फिल्म/टीवी पर आने वाली एक्ट्रेसेस के भी लंबे बाल होते हैं। साइकोथेरेपिस्ट हीदर गार्बट के शब्दों में समझें, तो जब महिलाएं अपने लंबे बाल कटवाने का फैसला करती हैं, तो यह अकसर बदलाव के दौर में होता है, यानी जब वह पुराने को छोड़ या भूलकर कुछ नया अपनाना चाहती हैं। यह एक तरह से पहचान में बदलाव जैसा होता है।
जीवन में बदलाव का सूचक: ब्रेकअप के बाद हेयरकट या नई नौकरी से पहले कराए गए हेयरकट, नवीनीकरण और पहचान को पुनः प्राप्त करने के लिए होता है। दरअसल, जीवन में किसी कठिन भावनात्मक दौर से गुजरने के बाद महिलाएं हर चीज को उस कड़वे अनुभव से जोड़कर देखने लगती हैं। खुद को आइने में देखने से दर्द, चोट और गुस्से की याद आती है। उन्हें याद आता है कि कैसे हम नकारात्मक परिस्थितियों या लोगों के कारण खुद के ही कमतर संस्करण बन गए हैं। जीवन के ऐसे क्षणों में ही न केवल एक नए रूप, बल्कि नए बदले हुए जीवन की ओर देखना शुरू होता है। यानी जो महिला अपने बाल कटवाती है, वह अपनी जिंदगी बदलने वाली होती है। इस बारे में लाइफ कोच शांभवी का कहना है,‘महिलाओं के लिए बाल आत्म-पहचान और आत्म-अभिव्यक्ति के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। अपने हेयरस्टाइल के किसी भी पहलू को बदलने से उनका पूरा रूप बदल सकता है। वे स्वयं कैसा महसूस करती हैं और दूसरों के सामने खुद को कैसे पेश करती हैं, वह भी बदल सकता है।’
मानसिक संतुष्टि-नएपन का एहसास: मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि हमारे रूप-रंग में छोटे-छोटे बदलाव सकारात्मक भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को जन्म दे सकते हैं। बाल कटवाने से नियंत्रण, संतुष्टि और नवीनता का एहसास होता है। ये सभी एहसास, डोपामाइन जैसे मस्तिष्क रसायनों को सक्रिय करती हैं। यह दिखावे से कहीं बढ़कर है। इसका मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है।
विगत तीन से अधिक दशक से हेयरस्टाइलिंग क्षेत्र से जुड़ीं एल्प्स ग्रुप की संस्थापक भारती तनेजा कहती हैं,‘बाल कटाना अमुक महिला और उसके दर्द के बीच एक मौन संवाद की तरह है। जब मेरे सैलून में कोई महिला आती है और कहती है कि बस काट दो बाल, तो वह कोई स्टाइल नहीं चाह रही होती है, बल्कि स्वतंत्र होना चाहती है। संकट में बाल कटवाना किसी विरोध का प्रतीक नहीं, विशुद्ध रूप से एक निजी मामला है। मैंने महिलाओं को पहली ही कटिंग के बाद रोते देखा है। इसलिए नहीं कि उन्हें इसका पछतावा था, बल्कि अंदर से वे आगे बढ़ चुकी थीं। बाल कटाना हमेशा नकारात्मक नहीं होता है। ऐसा करने से खुद पर अधिक कंट्रोल महसूस होने लगता है।’
छोटे बाल बढ़ाते हैं आत्मविश्वास
छोटे हेयरस्टाइल की बात करें, तो वह पारंपरिक रूप से पुरुषत्व से जुड़ा रहा है। अध्ययनों में महिलाओं ने बताया है कि जब वे छोटे बाल कटवाती हैं, तो अपेक्षाकृत अधिक सशक्त महसूस करती हैं। छोटे बाल आत्मविश्वास बढ़ाते हैं, जो संभवतः पुरुषत्व से जुड़ी दृढ़ ऊर्जा की वजह से हो सकता है। इस तरह छोटे बाल करवाना, अपरंपरागत विकल्प चुनना, विद्रोही भावना की एक शक्तिशाली और प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति बन जाता है। यह सामाजिक मानदंडों के विरुद्ध प्रतिरोध, स्वतंत्रता की घोषणा और अपनी शर्तों पर परिभाषित करने के विकल्प के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
