Parenting Tips: पैरेंट्स की 5 आदतें बच्चे को बना सकती हैं बिगड़ैल, आज से ही कर लें इनमें सुधार

बच्चों की परवरिश में होने वाली गलतियां।
Parenting Tips: हर पैरेंट्स की चाहत होती है कि उनका बच्चा संस्कारी, समझदार और अनुशासित बने। हालांकि कई बार खुद माता-पिता अनजाने में ही अपने बच्चे को बिगड़ैल बना लेते हैं। जब तक वे इस बात को समझ पाते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है और बच्चा गलत राह पकड़कर जिद्दी, गुस्सैल और बिगड़ैल हो जाता है। ऐसे में बच्चों की परवरिश के दौरान कुछ बातों का खास ख्याल रखना जरूरी है।
बता दें कि पैरेंटिग का मतलब बच्चे को सिर्फ प्यार करना ही नहीं होता है। उसे डिसिप्लीन सिखाना और सही सीख देना भी उतना ही जरूरी होता है। आइए जानते हैं पैरेंट्स की ऐसी 5 आम आदतें जो बच्चों को बिगाड़ सकती हैं।
पैरेंट्स की 5 आदतें पड़ सकती हैं भारी
हर जिद तुरंत मान लेना: बहुत से पैरेंट्स की आदत होती है कि बच्चे के कुछ भी डिमांड करते ही उसे वह चीज़ तुरंत उपलब्ध करा देते हैं। बच्चा जब भी रोता है या जिद करता है, तो कई माता-पिता उसे चुप कराने के लिए भी उसकी मांग पूरी कर देते हैं। यह आदत बच्चे को यह सिखा देती है कि रोकर या ज़िद करके सब कुछ पाया जा सकता है। धीरे-धीरे यह जिद उसका स्वभाव बन जाती है।
बार-बार डांटना या चिल्लाना: अगर आप हर छोटी गलती पर बच्चे को डांटते या चिल्लाते हैं, तो इससे उसका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है। इससे या तो बच्चा डरपोक बन जाता है या फिर जिद्दी होकर विरोध करना शुरू कर देता है। ऐसे में बातचीत के बजाय बच्चे के मन में आपका डर बैठ गया हो तो वो आपसे चीजें छुपाने लगेगा और गलत संगत में भी पड़ सकता है। इससे रिश्ते में दूरी भी आ सकती है।
दूसरों से तुलना करना: ज्यादातर पैरेंट्स अनजाने में ही ये भूल कर बैठते हैं कि वे अपने बच्चे की दूसरे बच्चे से तुलना करने लग जाते हैं। इस तरह की तुलना बच्चों को निगेटिविटी से भर देती है। इससे उनमें गिल्ट पैदा हो सकता है और वे विद्रोही स्वभाव के हो सकते हैं। हर बच्चा अलग होता है, ऐसे में उसकी काबिलियत और क्षमताओं को पहचानना और उसे बढ़ावा देना जरूरी है।
ज़रूरत से ज़्यादा लाड़-प्यार: बच्चों को हर समय गोद में उठाना, उनकी हर बात को सिर आंखों पर लेना, उन्हें हर गलती के बाद भी डांटना नहीं। जरूरत से ज्यादा लाड़-प्यार बच्चों को इनसेंसेटिव और गैर-जिम्मेदार बना सकता है। प्यार ज़रूरी है, लेकिन उसकी भी लिमिट तय करना जरूरी है।
खुद अनुशासन में न रहना: बच्चे वही सीखते हैं जो वे देखते हैं। अगर माता-पिता खुद समय की पाबंदी नहीं रखते, गुस्से में चीजें फेंकते हैं या झूठ बोलते हैं, तो बच्चे भी वही व्यवहार अपनाते हैं। उन्हें सुधारने से पहले खुद को सुधारना सबसे जरूरी है।
