Parenting Tips: टीवी स्क्रीन से चिपके रहते हैं बच्चे? 5 तरीकों से किताबें बनाएं दोस्त; जिंदगीभर देंगी साथ

बच्चे की किताबों से दोस्ती कराने के टिप्स।
Parenting Tips: डिजिटल युग में बच्चों का ज्यादातर समय मोबाइल, टीवी या टैबलेट स्क्रीन पर बीतता है। खासकर छुट्टियों या खाली समय में बच्चे कार्टून, वीडियो गेम्स या यूट्यूब में खोए रहते हैं। इसका असर न सिर्फ उनकी आंखों पर पड़ता है, बल्कि धीरे-धीरे एकाग्रता, रचनात्मकता और पढ़ाई में रुचि भी कम होने लगती है।
ऐसे माहौल में किताबों से बच्चों की दोस्ती कराना एक बड़ी चुनौती बन चुका है। लेकिन अगर थोड़े क्रिएटिव तरीके अपनाए जाएं, तो बच्चे किताबों में भी वही मजा पा सकते हैं जो स्क्रीन पर मिलता है। आइए जानें ऐसे 5 कारगर तरीके, जिनसे किताबें बच्चों की जिंदगी की साथी बन सकती हैं।
पढ़ने का समय बनाएं मजेदार रूटीन
बच्चों के लिए हर दिन एक तय समय किताब पढ़ने का रखें, जैसे सोने से पहले 20 मिनट की रीडिंग। इसे गेम या स्टोरी टाइम की तरह पेश करें, ताकि उन्हें मजा आए। जब किताब पढ़ना मजेदार रूटीन बन जाएगा, तो वे खुद ही इसके लिए आगे आएंगे।
कहानियों को करें एक्टिव और इंटरैक्टिव
सिर्फ किताब पढ़ना ही नहीं, बल्कि कहानियों को बच्चों के साथ एक्ट करके दिखाएं। अलग-अलग आवाजों, एक्सप्रेशन्स और रोल-प्ले से कहानी को जादुई बनाएं। इससे बच्चे उसमें घुल जाते हैं और अगली कहानी के लिए उत्साहित रहते हैं।
बच्चों की पसंद की किताबें लाएं
हर बच्चे की अलग रुचि होती है – कोई डाइनोसॉर पसंद करता है, तो किसी को परियों की कहानियां। उनकी पसंद पर ध्यान दें और उसी से जुड़ी किताबें लाएं। जब वे खुद से रिलेट करेंगे, तो पढ़ना उन्हें मजबूरी नहीं, खुशी लगेगी।
घर में बनाएं मिनी लाइब्रेरी
घर के एक कोने में किताबों की अलमारी या रंग-बिरंगे बुक शेल्फ लगाएं। कुछ पोस्टर, तकिया या बैठने की जगह बनाकर वहां पढ़ने का खास माहौल दें। जब किताबें आंखों के सामने रहेंगी, तो बच्चे बार-बार उनकी तरफ आकर्षित होंगे।
स्क्रीन टाइम घटाने के लिए किताब को बनाएं विकल्प
जब बच्चा टीवी देखना मांगे, तो उससे कहें कि "पहले 10 मिनट कहानी पढ़ो, फिर स्क्रीन टाइम मिलेगा।" धीरे-धीरे यह आदत किताबों की तरफ झुकाव बढ़ाएगी। आप चाहें तो किताब से जुड़ी क्विज या ड्राइंग भी करा सकते हैं।
बचपन में डाली गई पढ़ने की आदत जीवनभर साथ देती है। किताबें न केवल ज्ञान देती हैं, बल्कि कल्पनाशक्ति, भाषा और सोचने की क्षमता भी विकसित करती हैं। इसलिए बच्चों को किताबों से दोस्ती कराइए एक बार लगाव हो गया, तो वे कभी दूर नहीं जाएंगी।
