Parenting Tips: बच्चे को सही-गलत का फैसला करना सिखाएं, ये 5 पैरेंटिंग टिप्स करेंगी मदद

How to Teach Kids Right and Wrong
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बच्चे को सही गलत का अंतर समझाने के तरीके।

Parenting Tips: उम्र बढ़ने के साथ बच्चे को सही और गलत के बीच अंतर करना सिखाना जरूरी है। कुछ पैरेंटिंग टिप्स इसमें काम आ सकती हैं।

Parenting Tips: बच्चों की परवरिश सिर्फ उन्हें पढ़ाने या अनुशासन सिखाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें सही और गलत के बीच फर्क समझाना भी उतना ही जरूरी है। आज के समय में जहां बच्चे सोशल मीडिया और बाहरी प्रभावों से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं, वहां उन्हें नैतिक सोच और निर्णय लेने की क्षमता देना पैरेंट्स की बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है।

बच्चे वही सीखते हैं जो वे घर में देखते हैं। अगर पैरेंट्स उन्हें छोटे-छोटे फैसले खुद लेने की आज़ादी दें और उनके पीछे सही गाइडेंस दें, तो बच्चे समझदारी और आत्मविश्वास से भरे इंसान बनते हैं। यहां जानिए 5 पैरेंटिंग टिप्स जो आपके बच्चे को सही और गलत का फैसला करना सिखाने में मदद करेंगी।

5 तरीकों से बच्चें को सिखाएं सही-गलत का अंतर

खुद बनें बच्चे के रोल मॉडल: बच्चे अपने पैरेंट्स को देखकर सीखते हैं। अगर आप सही बातों पर डटे रहते हैं और गलत चीज़ों को स्पष्ट रूप से ना कहते हैं, तो बच्चा वही अपनाएगा। अपने व्यवहार, बोलचाल और फैसलों में पारदर्शिता रखें। उदाहरण के तौर पर, किसी गलती को स्वीकार करना या ईमानदारी दिखाना बच्चे के लिए सबसे बड़ा सबक होता है।

कहानी या उदाहरणों से समझाएं: बच्चों को उपदेश से ज़्यादा कहानियां जल्दी समझ में आती हैं। उन्हें छोटी-छोटी कहानियों या रोजमर्रा के उदाहरणों से समझाएं कि अच्छा व्यवहार क्या होता है और बुरा क्या। जैसे सच्चाई पर आधारित कहानियां या गलत संगत के नुकसान बताने वाली कहानियां बच्चों के मन में गहरा असर डालती हैं।

बच्चे को निर्णय लेने दें: हर बात पर आदेश देने की बजाय बच्चे को सोचने और निर्णय लेने का मौका दें। जैसे, स्कूल के प्रोजेक्ट, कपड़े या दोस्तों के चुनाव में उसकी राय पूछें। जब बच्चा खुद सोचकर फैसला लेता है, तो उसे अपनी गलती और सही निर्णय की अहमियत दोनों का एहसास होता है। यह आत्मनिर्भरता बढ़ाने का सबसे असरदार तरीका है।

परिणामों के बारे में बताएं: बच्चे को सिर्फ ये मत करो कहने से बेहतर है उसे यह बताना कि क्यों मत करो। उसे हर क्रिया के परिणाम समझाएं जैसे झूठ बोलने से भरोसा टूटता है या किसी का मज़ाक उड़ाने से सामने वाला दुखी होता है। जब बच्चा परिणामों को समझता है, तो वह खुद सही चुनाव करने लगता है।

खुले संवाद की आदत डालें: बच्चे के साथ हमेशा एक भरोसेमंद रिश्ता बनाएं ताकि वह अपनी बातें खुलकर साझा कर सके। अगर बच्चा गलती करता है, तो उसे डांटने के बजाय शांतिपूर्वक समझाएं। जब बच्चे को लगता है कि उसके माता-पिता उसे जज नहीं करेंगे, तब वह सही-गलत के बारे में खुलकर सोचने लगता है और बेहतर निर्णय लेता है।

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