Parenting Tips: बच्चे में आ गया है दब्बूपन? 5 तरीकों से बढ़ाएं उसका आत्मविश्वास, खुलकर रखेगा अपनी बात

Parenting Tips: बचपन वो समय होता है जब आत्मविश्वास की नींव रखी जाती है। लेकिन कई बार बच्चे बहुत शर्मीले, डरपोक या दब्बू स्वभाव के हो जाते हैं। वो न तो किसी के सामने अपनी बात कह पाते हैं, न ही किसी नए माहौल में घुलमिल पाते हैं। अगर समय रहते इस स्वभाव को नहीं समझा गया, तो आगे चलकर यही झिझक उनके करियर और सामाजिक जीवन में बड़ी रुकावट बन सकती है।
अक्सर माता-पिता सोचते हैं कि बच्चा बड़ा होकर खुद ही बदल जाएगा, लेकिन दब्बूपन सिर्फ उम्र से नहीं, सही गाइडेंस और सपोर्ट से दूर होता है। ऐसे में अगर बच्चे को बचपन से ही थोड़ी सही दिशा और प्रोत्साहन मिले, तो उसका आत्मविश्वास मजबूत किया जा सकता है। आइए जानते हैं ऐसे 5 असरदार तरीके, जिनसे आप अपने शर्मीले या दब्बू बच्चे को बना सकते हैं आत्मविश्वासी और बेझिझक बोलने वाला इंसान।
उसकी बातें सुनें और महत्व दें
बच्चा जब भी कुछ कहे, चाहे वो छोटी-सी बात ही क्यों न हो, उसे ध्यान से सुनें। उसकी बात को बीच में काटना या अनदेखा करना उसके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाता है। जब बच्चा देखेगा कि उसकी बातें मायने रखती हैं, तो वह खुलकर अपनी बात कहना सीखेगा।
गलतियों पर डांट की बजाय समझाएं
बच्चे से गलती होना स्वाभाविक है, लेकिन बार-बार डांटना या उसकी तुलना किसी और से करना उसे अंदर से कमजोर बना देता है। उसकी गलतियों को सीखने का मौका दें और सकारात्मक तरीके से समझाएं। इससे उसमें आत्मविश्वास के साथ-साथ जिम्मेदारी की भावना भी विकसित होगी।
उसकी रुचियों को बढ़ावा दें
हर बच्चे की कोई न कोई खास रुचि या हुनर होता है – जैसे डांस, ड्राइंग, स्टोरीटेलिंग आदि। अगर आप उसकी रुचियों को पहचानकर उसमें भाग लेने का मौका देंगे, तो वह मंच पर आने और बोलने की आदत विकसित करेगा। ये आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे असरदार तरीका है।
सामूहिक गतिविधियों में भाग दिलाएं
बच्चों को समूह में खेल, कहानियां सुनाना, एक्टिंग या स्कूल प्रोजेक्ट्स में शामिल करें। जब वे टीम के साथ मिलकर काम करेंगे, तो बोलने और आगे बढ़ने का अभ्यास होगा। ऐसे माहौल में रहकर बच्चे धीरे-धीरे अपनी झिझक तोड़ते हैं।
हर छोटी उपलब्धि पर करें प्रोत्साहन
बच्चा जब कोई छोटा सा भी काम अच्छी तरह करता है – जैसे प्रेजेंटेशन देना, क्लास में जवाब देना या दोस्त बनाना – तो उसकी सराहना करें। तारीफ से आत्मविश्वास बढ़ता है और बच्चा आगे भी अच्छा करने की कोशिश करता है।
दब्बूपन कोई स्थायी स्वभाव नहीं है, बल्कि सही समय पर सही मार्गदर्शन से इसे बदला जा सकता है। अगर माता-पिता थोड़ा ध्यान दें और बच्चे को बोलने, करने और गलती करने की आज़ादी दें, तो वह न सिर्फ आत्मविश्वासी बनेगा, बल्कि अपने विचार भी बिना डर के रख पाएगा।
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ/डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)
