Parenting Tips: बच्चे का टैलेंट पहचानना है ज़रूरी, पैरेंट्स 5 तरीकों से कर सकते हैं इसे आइडेंटिफाई

बच्चे का टैलेंट पहचानने के टिप्स।
Parenting Tips: हर बच्चा अपने आप में खास होता है। किसी को गाना पसंद होता है, कोई खेलों में निपुण होता है, तो कोई पढ़ाई में तेज होता है। लेकिन अक्सर माता-पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरों से करने लगते हैं और बच्चे के अंदर छिपे टैलेंट को पहचान ही नहीं पाते। सही मार्गदर्शन और थोड़ी सी समझदारी से हम बच्चों के असली हुनर को निखार सकते हैं।
बच्चे का टैलेंट समझने के लिए जरूरी है कि माता-पिता धैर्य रखें, उन्हें पर्याप्त समय दें और उनके व्यवहार को ध्यान से समझें। साथ ही, बच्चे के ओवरऑल ग्रोथ के लिए केवल एक ही दिशा में फोकस करना काफी नहीं होता—बल्कि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास भी उतना ही अहम होता है। आइए जानते हैं कैसे एक समझदार पैरेंट बनकर आप अपने बच्चे के भविष्य को दिशा दे सकते हैं।
5 तरीके से बच्चे का टैलेंट पहचानें
बच्चे को ऑब्जर्व करें, टोकें नहीं
बच्चा किस चीज़ में ज्यादा दिलचस्पी लेता है, क्या काम करते हुए वो समय भूल जाता है—इन बातों को गौर से देखें। जरूरी नहीं कि पढ़ाई में अच्छा बच्चा ही "टैलेंटेड" हो। हो सकता है आपका बच्चा चित्रकारी, डांस, एक्टिंग, सिंगिंग, साइंस प्रोजेक्ट या किसी खेल में अधिक रुचि रखता हो। उसे बार-बार रोकना या केवल पढ़ाई पर ज़ोर देना उसके आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचा सकता है।
बच्चे से संवाद बनाए रखें
बच्चे से खुलकर बात करना सबसे जरूरी है। उनसे पूछें कि उन्हें क्या अच्छा लगता है, क्या करना चाहते हैं और क्या बनने का सपना देखते हैं। जब बच्चे को लगता है कि माता-पिता उसकी बात सुनते हैं, तो वह खुलकर अपने इमोशन और रुचियां शेयर करता है। इससे उनका आत्मबल बढ़ता है और वे अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर होते हैं।
हर टैलेंट को दें बराबरी का महत्व
कई माता-पिता पढ़ाई को ही सफलता का पैमाना मानते हैं, लेकिन हर बच्चा आईएएस या डॉक्टर नहीं बनना चाहता। अगर आपका बच्चा म्यूजिक, पेंटिंग या डांस में अच्छा है, तो उसे उस दिशा में प्रोफेशनल गाइडेंस दें। कोर्स, वर्कशॉप्स या ट्रेनिंग से उसे निखारने का मौका दें।
ओवरऑल डेवलपमेंट पर दें ध्यान
बच्चे के शारीरिक विकास के लिए आउटडोर खेल जरूरी हैं, मानसिक विकास के लिए किताबें और गेम्स, सामाजिक विकास के लिए दोस्त और रिश्तेदारों से मेलजोल, और भावनात्मक विकास के लिए माता-पिता का साथ। इन सभी पहलुओं को संतुलित करना बच्चे की संपूर्ण ग्रोथ के लिए जरूरी है।
तुलना न करें, प्रेरणा दें
हर बच्चा अलग होता है। उसकी तुलना किसी और से करना उसकी योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाने जैसा है। उसे उसकी प्रगति के लिए सराहें, छोटी सफलताओं को भी मान्यता दें। प्रेरित करें, लेकिन दबाव न बनाएं।