Parenting Tips: आपका बच्चा बात-बात में गुस्सा करने लगा है? 5 तरीकों से करें एंगर कंट्रोल, दिखेगा बदलाव

बच्चे का गुस्सा काबू में करने के टिप्स।
Parenting Tips: बचपन में गुस्सा आना एक सामान्य भाव है, लेकिन जब ये बार-बार और तीव्र रूप में सामने आने लगे तो समझदारी से निपटना ज़रूरी हो जाता है। कई बार बच्चे अपने गुस्से को शब्दों में नहीं व्यक्त कर पाते, इसलिए वह चिल्लाने, रोने या चीज़ें फेंकने के रूप में सामने आता है। ऐसे में माता-पिता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है।
बच्चों को गुस्से से निपटना सिखाना उन्हें जीवन भर की एक ज़रूरी स्किल देना है। इसके लिए प्यार, धैर्य और सही गाइडेंस की ज़रूरत होती है। यहां दिए गए पांच आसान लेकिन प्रभावी टिप्स की मदद से आप अपने बच्चे को एंगर कंट्रोल करना सिखा सकते हैं बिना सज़ा या डांट-डपट के।
बच्चे का गुस्सा कंट्रोल में रखने के टिप्स
शांत रहने की कला सिखाएं
बच्चे गुस्से में अकसर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं, इसलिए उन्हें "रुकना और सोचना" सिखाना ज़रूरी है। जब भी उन्हें गुस्सा आए, तो उन्हें सिखाएं कि पहले गहरी सांस लें, 10 तक गिनें और फिर बोलें। ये छोटी सी तकनीक उनके ब्रेन को शांत करने में मदद करती है और प्रतिक्रिया की बजाय सोच समझकर जवाब देना सिखाती है।
गुस्से को पहचानना और नाम देना
बच्चों को पहले यह समझाना ज़रूरी है कि गुस्सा क्या होता है और इसे कैसे पहचाना जाए। उन्हें बताएं कि जब उन्हें चिढ़, जलन या परेशानी महसूस हो रही हो, तो यह गुस्से का संकेत हो सकता है। जब वे अपने इमोशंस को पहचानना और उसका नाम लेना सीख जाते हैं, तो उस पर काबू पाना आसान हो जाता है।
रोल मॉडल बनें
बच्चे वही सीखते हैं जो वे देखते हैं। अगर पैरेंट्स खुद अपने गुस्से पर काबू रखते हैं, तो बच्चा भी वही आदत अपनाता है। गुस्से की स्थिति में शांत रहना, बिना चिल्लाए अपनी बात कहना और सुलझे हुए तरीके से प्रतिक्रिया देना बच्चे के लिए सबसे प्रभावी उदाहरण बन सकता है।
रचनात्मक तरीके से गुस्से की निकासी
हर बार गुस्सा रोकना संभव नहीं होता, इसलिए बच्चा उसे कैसे बाहर निकाले — यह सिखाना जरूरी है। उसे ड्राइंग, दौड़ लगाना, कोई खेल खेलना या डायरी लिखने जैसी गतिविधियों में लगाएं। इससे उसकी एनर्जी सकारात्मक दिशा में जाएगी और वह गुस्से को नुकसानदायक तरीके से व्यक्त नहीं करेगा।
बातचीत का माहौल बनाएं
जब बच्चा शांत हो जाए, तो उसके साथ बैठकर बात करें कि उसे गुस्सा क्यों आया और वह अगली बार क्या कर सकता है। यह तरीका उसे सोचने और खुद को सुधारने की क्षमता देता है। खुली बातचीत बच्चे में आत्मविश्वास और भावनात्मक समझदारी दोनों को बढ़ावा देती है।
गुस्सा आना गलत नहीं है, लेकिन उसे सही तरह से संभालना आना ज़रूरी है। बच्चे जब यह कला सीख जाते हैं, तो वे भावनात्मक रूप से अधिक मज़बूत, समझदार और खुशहाल बनते हैं। इन आसान तरीकों को अपनाकर आप अपने बच्चे को एक बेहतर इंसान बनने की दिशा में ले जा सकते हैं।