Knowledge News : कैसे पता लगता है जब कोई चुपके से घूर रहा हो, जानिये इसके पीछे का साइंस

अक्सर ऐसा होता है जब हम कंप्यूटर या मोबाइल पर कुछ काम कर रहे होते हैं, तो कई बार ऐसा लगता है कि जैसे कोई हमें घूर रहा है। जब सर उठाकर देखते हैं, तो कई बार ये बात सच भी साबित होती है। किसी जान-पहचान वाले या किसी अनजान शख्स की आंखें हम पर टिकी होती हैं। अब सवाल यह उठता है कि बिना देखे यह कैसे अहसास हो जाता है कि कोई आपको देख रहा है। चलिए आज हम आपको आपने इस आर्टिकल में इसके बारे में बताते हैं।
दरअसल, मस्तिष्क के 10 अलग-अलग हिस्से ह्यूमन साइट से जुड़े हुए होते हैं। विजुअल कॉर्टेक्स इसमें सबसे मुख्य है। ये ब्रेन यानि दिमाग के पीछे का बड़ा हिस्सा होता है, जो देखने में मदद करता है। कुछ इसी तरह का काम अमिग्डेला भी करता है, लेकिन इसका असली काम है देखने का यानी गेज को प्रोसेस और फिर डिटेक्ट करना। कई बार ऐसा होता है कि हमारे आसपास खड़े लोगों की नजरें अगर हम तक घूमती हैं, तो इस चीज को भी हमारी आंखें फॉलो करती हैं।
बिना देखे कैसे लगता है पता
अक्सर किसी के घूरने पर बिना देखे भी पता लग जाता है। इसे गेज डिटेक्शन कहते हैं। गेज डिटेक्शन के पीछे पूरा साइंस है। दरअसल इंसानों की आंखें बाकी पशु-पक्षियों से काफी अलग होती हैं। आंखों की पुतली को प्यूपिल कहते हैं, इसके आसपास का सफेद हिस्सा स्क्लेरा काफी बड़ा होता है। यह इतना फैला हुआ होता है कि अगर पुतलियां किसी भी दिशा में घूमेंगी या उनमें कोई बदलाव होगा, जैसे सिकुड़ना या फैलना तो यह बड़े सफेद हिस्से के चलते आसानी से पकड़ में आ जाएगा।
ब्रेन देता है इशारा
ये हुई तब की बात जब हम किसी की आंखों और उसमें हो रहे बदलाव को सीधे देख सकें। लेकिन, अब बिना देखे कैसे पता लगता है कि कोई देख रहा है। इसके पीछे का कारण वैज्ञानिक एमिग्डेला को मानते हैं। वो मानते हैं कि हमारा दिमाग लगातार हमें किसी खतरे के लिए सचेत करता है। गेज डिटेक्शन भी उसी का हिस्सा है। कुछ स्टडीज यह भी मानती हैं कि हम आंखों की परिधि के लंबे दायरे में किसी के बॉडी मूवमेंट के आधार पर भी पता कर पाते हैं कि किसी की नजरें हम पर हैं।
करंट बायोलॉजी में 2013 में छपा एक अध्ययन यह दावा करता है कि इंसान डरे हुए होते हैं, इसलिए वे मानकर चलते हैं कि कोई लगातार उन्हें देख रहा है। वहीं, एक अध्ययन में यह कहा गया है कि कोई हमें देख रहा है, ये जान लेने में कोई विज्ञान या सिक्स्थ सेंस नहीं है, बल्कि यही मानवीय डर है। अगर कोई आसपास हो तो हम मान लेते हैं कि वो हमें देख रहा होगा और अक्सर ऐसा सही भी हो जाता है।
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