कैबि‍नेट गठन पर बनी हुई है मोदी की चुप्पी, आखिरी वक्त में खोल सकते हैं पत्ते

कैबि‍नेट गठन पर बनी हुई है मोदी की चुप्पी, आखिरी वक्त में खोल सकते हैं पत्ते
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केंद्र में भाजपा की सरकार बनने से पहले ही मोदी के एकाधिकारवादी रवैया सामने आने लगा है।

नई दिल्‍ली. नरेंद्र मोदी की भावी सरकार में कैबिनेट में कौन-कौन मुख्‍य चेहरे रहेंगे, इस लेकर राजनीतिक गलियारों में तो चर्चा है ही साथ ही भाजपा के भीतर भी इस बात को लेकर कई तरह की शंकाएं जताई जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के अंदर से यह बातें निकल कर आ रही हैं कि आखिर नरेंद्र मोदी कैबिनेट को लेकर चर्चा क्‍यों नहीं कर रहे हैं। आगामी सरकार में कैबिनेट को लेकर नरेंद्र मोदी की चुप्‍पी के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

इससे पूर्व चाहे कांग्रेस की सरकार के गठन का मामला हो या 1990 में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार का, सभी ने मंत्रीमंडल को लेकर अपनी पार्टी और सहयोगी दलों के बीच चर्चा की थी। लेकिन नरेंद्र मोदी इस पर उदासीन हैं। भाजपा को भले ही अप्रत्‍याशित जीत मिली है लेकिन कैबिनेट को लेकर इनती अपारदर्शिता भी शायद ही पहले देखी गई हो। राजनीतिक विश्‍लेषकों का कहना है कि कैबिनेट में कौन-कौन लोग शामिल होंगे यह बात नरेंद्र मोदी के करीबियों को भी पता नहीं है।

चुनावी नतीजे आने के बाद नरेंद्र मोदी से मिले एक भाजपा नेता का कहना है कि कैबिनेट को लेकर मोदी कुछ नहीं कह रहे हैं। भाजपा नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी उनकी बात सुन कर सिर्फ मुस्‍कुरा दिए। भाजपा नेता ने आशंका जताते हुए बातया की उनका (भाजपा नेता) का समय खत्‍म हो गया है। सरकार बनने से पहले ही भाजपा नेताओं के नरेंद्र मोदी को लेकर इस तरह के अनुभव से कहा जा सकता है कि मोदी अपनी कैबिनेट में अपनी पसंद के नेताओं को जगह देने वाले हैं।

नीचे की स्‍लाइड में पढि़ए, सामने आने लगा है मोदी का एकाधिकारवादी चेहरा -

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