UPSC Success Story: बड़ी बहनों ने 'पार्ट टाइम जॉब' करके पढ़ाया, सात साल के संघर्ष के बाद रितु को मिली यूपीएससी में सफलता

Success Story Of IPS Ritu Yadav
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सात साल के संघर्ष के बाद रितु को मिली यूपीएससी में सफलता
UPSC Success Story: रितु ने जीवन के हर एक कदम पर मुश्किलों का सामना किया और आखिरकार सात साल के कठिन संघर्ष के बाद आईपीएस के रुप में अपना मुकाम हासिल किया।

UPSC Success Story: एक छोटे से गांव, पृथ्वीपुर, जिला निवाड़ी की रितु यादव (28), यूपीएससी में 470 रैंक। एक ऐसी कहानी की प्रतीक जो मेहनत, आत्मविश्वास और परिश्रम का उत्तम उदाहरण। रितु ने जीवन के हर एक कदम पर मुश्किलों का सामना किया और आखिरकार सात साल के कठिन संघर्ष के बाद आईपीएस के रुप में अपना मुकाम हासिल किया।

2004 में आ गई थी भोपाल
'हरिभूमि' से बातचीत में रितु ने कहा कि हमारे गांव में पढ़ाई की उचित सुविधा नहीं थी। इसलिए, हम साल 2004 में भोपाल आ गए और इसके अगले ही वर्ष पिता की हार्ट अटैक से मृत्यु ने हमारे परिवार को तोड़ कर रख दिया। तीन बहनें और एक छोटा भाई। सभी की जिम्मेदारी मां के ऊपर। ऐसे में मेरी बड़ी बहनों ने पढ़ाई के साथ साथ पार्ट टाइम जॉब करके मुझे पढ़ाया। रितु कहती हैं कि इन हालातों में मैंने भी ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाया।

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एक बहन आमीं में मेजर और दूसरी एमएनसी में
रितु ने बताया कि आज मेरी दोनों बहनें भी अच्छे स्थानों पर हैं एक बहन एमएनसी में कार्यस्त है और दूसरी आर्मी में मेजर है। भाई भी प्राइवेट संस्थान में उच्च स्थान पर है। उन्होंने कहा कि देखने में यह मेरी सफलता लगती है लेकिन मेरी इस सफलता में मेरे परिवार का अतुलनीय योगदान है, उनकी हिम्मत के बिना मैं इस मंजिल को नहीं पा सकती थी। मेरे परिवार ने मुझे हताश नहीं होने दिया और मुझे आगे मेहनत करते रहने के लिए मोटिवेट किया।

पहले दो प्रयास सिलेबस को समझने में लगे
रितु कहती हैं कि मैं कॉमर्स बैकग्राउंड से हूं, ऐसे में मैंने बीएसएसएस से अपना ग्रेजुएशन किया, लेकिन मेरी इच्छा सिविल सर्विसेस में जाने की थी, फिर मैं सिविल सर्विसेस की प्रिपरेशन करने लगी। पहले दो अटैम्प मुझे सिलेबस को समझने में लगा, क्योंकि मैंने कोई कोचिंग नहीं ली थी। इसके बाद प्रिलिम्स में मैथ्स के पोरशन की वजह से दो बार सिलेक्शन नहीं हुआ, ऐसे में मेरे परिवार ने मुझे हताश नहीं होने दिया और मुझे आगे मेहनत करते रहने के लिए मोटिवेट किया।

7 सालों के संघर्ष के बाद मिली सफलता
रितु ने कहा कि इस बीच कोविड के दौरान मैंने ऑनलाइन क्लासेस लीं और फिर मुझे सिलेबस भी समझ में आया ऐसे में मैंने मैस रिटर्न के लिए खुद को तैयार कर लिया था, लेकिन प्रिलिम्स निकालना चुनौतिपूर्ण था, ऐसे में मेरा पूरा फोकस प्रिलिम्स पर था, और इस बार के एग्जाम में मेरा प्रिलिम्स निकल गया, मुझे पता था कि मैंस के लिए मैंने खुद को प्रिपेयर कर लिया है और मेरा मैंस भी निकला, फिर इंटरव्यू के लिए मैंने कई सीनियर्स के ऑनलाइन इंटरव्यू देखे और दिल्ली जाकर मॉक टेस्ट भी दिए और ईश्वर की कृपा रही कि मेरा इंटरव्यू भी निकला और आखिरकार मुझे वो मंजिल मिल ही गई जिसका इंतजार मुझे और मेरे परिवार को वर्षों से था।

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