Recruitment: यूपी स्वास्थ्य मिशन को मिलेगी गति, 2000 विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती का प्रस्ताव तैयार

वर्तमान में कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केवल सामान्य चिकित्सकों के भरोसे चल रहे हैं।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की गंभीर कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। स्वास्थ्य महानिदेशालय ने राज्य में 2000 विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती के लिए विस्तृत भर्ती प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। इस पहल का उद्देश्य प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना है, खासकर जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को अक्सर बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। शासन से मंजूरी मिलते ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी, जिससे राज्य के स्वास्थ्य ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार आने की उम्मीद है।
चिकित्सकों की कमी और विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता
उत्तर प्रदेश लंबे समय से सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों, विशेषकर विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी का सामना कर रहा है। दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी विकट है, जहां विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध न होने के कारण सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए भी लोगों को सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। इस कमी के चलते मौजूदा डॉक्टरों पर काम का भारी बोझ है, और विशेषज्ञ सेवाओं जैसे बाल रोग, स्त्री एवं प्रसूति रोग और शल्य चिकित्सा के मामले में मरीजों को निजी या बड़े शहरी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है। यह भर्ती ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के बीच के अंतर को खत्म करने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
भर्ती प्रक्रिया का स्वरूप और प्रमुख विशेषज्ञताए
स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा भेजे गए अधियाचन में जिन 2000 पदों को भरने का प्रस्ताव है, उनमें विभिन्न महत्वपूर्ण विशेषज्ञताओं को प्राथमिकता दी गई है। इनमें मुख्य रूप से स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ बाल रोग विशेषज्ञ सर्जन, मेडिसिन विशेषज्ञ और रेडियोलॉजिस्ट शामिल हैं।
वर्तमान में कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केवल सामान्य चिकित्सकों के भरोसे चल रहे हैं। विशेषज्ञों की तैनाती से इन केंद्रों पर गंभीर रोगों के प्रबंधन जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं का विस्तार होगा। इसके परिणामस्वरूप, जिला अस्पताल और सीएचसी मजबूत होंगे, जिससे स्वास्थ्य देखभाल के लिए बड़े चिकित्सा संस्थानों पर पड़ने वाला अनावश्यक दबाव कम होगा। यह न केवल ग्रामीण आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवा की पहुँच और गुणवत्ता में सुधार करेगा, बल्कि सरकार के 'सबके लिए स्वास्थ्य' (Health for All) के लक्ष्य को भी पूरा करने में सहायक होगा।
