अयोध्या राम मंदिर: राम दरबार की में प्राण प्रतिष्ठा शुरू, जयपुर के कलाकारों ने 100 साल पुराने संगमरमर से बनाई दिव्य मूर्तियां, जानें खासियत

Ram Temple Ayodhya
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Ram Temple Ayodhya

अयोध्या राम मंदिर में जयपुर के पांडे परिवार द्वारा बनाए गए राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा शुरू। मकराना संगमरमर से बनीं दिव्य मूर्तियां।

Ayodhya Ram Darba : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का दूसरा चरण मंगलवार, 3 जून 2025 से शूरू हो गया। यह अनुष्ठान 5 जून तक चलेगा। 101 पुजारी 1975 मंत्रों का पाठ करेंगे। इस दौरान रामरक्षा स्तोत्र, हनुमान चालीसा सहित अन्य भक्ति भजनों का पाठ किया जाएगा। राम मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर की दो तस्सीरें जारी की है, जहां राम दरबार की स्थापना की जानी है।

जयपुर के प्रसिद्ध पांडेय परिवार द्वारा निर्मित राम दरबार की मूर्तियों की प्रतिष्ठा की जानी हैं। प्रथम तल पर भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी की मूर्तियां प्रतिष्ठित होंगी। राम दरबार सहित परकोटे के छह मंदिर शिवलिंग और आठ मंदिरों में देव विग्रहों की प्रतिष्ठा होगी।

100 साल पुराने संगमरमर से बनी प्रतिमाएं
राम दरबार की मूर्तियाँ मकराना के 100 साल पुराने सफेद संगमरमर से तैयार की गई हैं। जयपुर के जिस पांडे परिवार ने इन मूर्तियों को गढ़ा है, वह चार पीढ़ियों से मूर्ति निर्माण का कार्य कर रहा है। राम दरबार के अलावा उन्होंने अयोध्या राम जन्मभूमि के लिए 19 मूर्तियाँ तैयार की हैं। इनमें प्रवेश द्वार के लिए हाथी और शेर, गणेशजी, सप्तऋषि, शबरी, निषादराज और अहिल्या की प्रतिमाएं भी शामिल हैं।

स्वप्न से शुरू हुई परंपरा
पांडेय परिवार के प्रशांत पांडेय ने बताया कि वर्षों पूर्व उनके पूर्वज रामेश्वरलाल को स्वप्न में भगवान राम के दर्शन हुए थे। तभी से हमारे परिवार ने राम दरबार की मूर्तियां बनाने की परंपरा शुरू की। वर्तमान में प्रशांत पांडे और सत्यनारायण पांडे इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।

गंगा दशहरा के दिन भेजी गईं प्रतिमाएं
प्रशांत पांडे ने बताया कि अयोध्या राम मंदिर के लिए यह मूर्तियां 21 मई 2025 को गंगा दशहरा के दिन जयपुर से विशेष सुरक्षा प्रबंधों के साथ रवाना की गईं थीं। अब 3 से 5 जून के बीच वैदिक मंत्रोच्चार और विधिवत अनुष्ठानों के साथ प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान संपन्न होगा।

जयपुर की मूर्तिकला परंपरा का सम्मान
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जयपुर की मूर्तिकला परंपरा का सम्मान है। जयपुर की कला और श्रद्धा को अयोध्या जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक केंद्र में स्थान मिलना पूरे राजस्थान के लिए गर्व का विषय है। पांडे परिवार द्वारा निर्मित रामलला की बाल स्वरूप प्रतिमा को भी तीन अंतिम चयनित मूर्तियों में शामिल किया गया था।

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