भारत-रूस आध्यात्मिक बंधन: भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष काल्मिकिया में प्रदर्शित, उपमुख्यमंत्री मौर्य करेंगे नेतृत्व

उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य की अगुवाई में बुद्ध के पवित्र अवशेष का रूस में लगेगी प्रदर्शनी
लखनऊ : भारत और रूस के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए, भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा (कपिलवस्तु) अवशेषों को रूस के काल्मिकिया में प्रदर्शित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल इन अवशेषों को लेकर मंगलवार को रूस के लिए रवाना होगा।
इस अवसर पर दो समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे। एक समझौता ज्ञापन केंद्रीय बौद्ध रूस आध्यात्मिक प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के बीच और दूसरा नालंदा विश्वविद्यालय के साथ है।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई है। उनके आवास पर, विभिन्न बौद्ध भिक्षुओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने इस प्रदर्शनी की पहल की और मौर्य को इसका नेतृत्व सौंपा। केशव मौर्य ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं मानवता के लिए भारत की सबसे बड़ी धरोहर हैं, जो करुणा और शांति पर आधारित हैं।
पीएम मोदी के 'बुद्ध' दर्शन का वैश्विक प्रसार
उपमुख्यमंत्री मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सम्राट अशोक की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में दिए गए मोदी के बयान का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने दुनिया को "बुद्ध" दिया है, "युद्ध" नहीं। इससे पहले, इन पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी थाईलैंड और वियतनाम में भी आयोजित की जा चुकी है, जिससे भारत के इन देशों के साथ आध्यात्मिक संबंध मजबूत हुए हैं।
काल्मिकिया में प्रदर्शनी का उद्देश्य
रूस के काल्मिकिया क्षेत्र में बौद्ध जनसंख्या बहुत अधिक है। यहां बौद्ध धर्म न केवल एक धर्म है, बल्कि संस्कृति और परंपरा का भी हिस्सा है। इस क्षेत्र में प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य वैश्विक शांति और सद्भाव का वातावरण बनाना और भगवान बुद्ध के अहिंसा, करुणा और शांति के संदेश को दुनिया भर में फैलाना है।
पिपरहवा अवशेषों का ऐतिहासिक महत्व
ये पवित्र अवशेष पिपरहवा से प्राप्त हुए थे, जिसे प्राचीन कपिलवस्तु नगरी से जोड़ा जाता है। ये अवशेष पुरातात्विक रूप से प्रमाणित हैं और इन्हें वैश्विक बौद्ध समुदाय के लिए एक अत्यंत पूजनीय धरोहर माना जाता है। इनकी प्रदर्शनी से बौद्ध धर्म के अनुयायियों में खुशी और उत्साह का माहौल है।
भगवान बुद्ध के अवशेषों की रूस जैसे देश में प्रदर्शनी लगाना, जहां बौद्ध धर्म की जड़ें गहरी हैं, लेकिन मुख्य रूप से यह एक ईसाई बहुल राष्ट्र है, यह कदम दोनों देशों के बीच जन-स्तर पर संबंधों को मजबूत करने में मदद करेगा।
यह प्रदर्शनी ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। ऐसे में भारत का यह कदम दिखाता है कि वह रूस के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है। यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक साझेदारी, राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, दोनों देशों के बीच विश्वास और सद्भाव को बढ़ाती है।
