2015 में भारत को अनेक चुनौतियों का सामना करना है, देश की सुरक्षा सर्वोपरि

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By - ??. ???????? ?????? |7 Jan 2015 6:30 PM
साल 2015 में भारत को अनेक चुनौतियों का सामना करना है, परंतु सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा के मोर्चे पर है।
आतंकियों और पाकिस्तानी सेना के बीच की बात को ‘इंटरसेप्ट’ किया था। तटरक्षक नौका ने आतंकवादियों के इस नौका का बड़ी देर तक पीछा किया। जब उन्होंने इस नौका पर ध्यान केंद्रित किया तो उन्हें पूरा शक हुआ कि वे मछुआरे नहीं हैं। क्योंकि उनके पास न तो मछली पकड़ने का जाल था और न उनके पहनावे से ऐसा लग रहा था कि वे मछुआरे हों। उन्होंने हाफ पैंट और टी शर्ट पहन रखे थे। तटरक्षक बलों को पहले से ही यह जानकारी थी कि एक नौका कुछ गैरकानूनी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान की बंदरगाह कराची से रवाना हुई है।
यह दुर्भाग्य की बात है कि तटरक्षक बलों को शाबासी देने के बदले और उनकी प्रशंसा करने के बदले कुछ विपक्षी दल सरकार पर तरह तरह की तोहमत लगा रहे हैं। वे उसी तरह की भाषा बोल रहे हैं जैसे पाक बोल रहा है। कुछ विपक्षी दलों के प्रवक्ताओं ने पाकिस्तान की सुर में सुर मिलाकर कहा कि इस नौका में आतंकी नहीं तस्कर सवार थे। इस तरह की बातें करने से तटरक्षक बलों का मनोबल गिरता है और संसार में हमारी जगहंसाई होती है। विपक्षी दलों के आरोपों का खंडन करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने ठीक ही कहा है कि समुद्र में डूबी नौका न तो मछली पकड़ने के क्षेत्र में थी और न ही ऐसे व्यस्त मार्ग पर थी जिसे तस्कर पसंद करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक मिले परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से संकेत मिलता है कि अरब सागर में डूबी पाकिस्तानी नौका में संदिग्ध आतंकी सवार थे। उनका कहा शत-प्रतिशत सही है कि नौका पर सवार लोगों ने घेराबंदी किये जाने पर खुद को उड़ा लिया जैसा कि आतंकी करते हैं। उन्होंने कहा कि नौका पर सवार लोग पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों और वहां की सेना के संपर्क में थे। इसलिए यह साफ संकेत मिलता है कि वे किसी अन्य गतिविधि के लिए भारत आ रहे थे।
रक्षा मंत्री ने सही तरीके से भारतीय तटरक्षक बल की कार्रवाई का पुरजोर तरीके से समर्थन किया। उन्होंने यह भी कहा कि संदिग्ध नौका की लाइटें बंद थीं। यदि तस्कर उस नौका में सवार होते तो मादक पदार्थों को समुद्र में फेंककर आत्मसमर्पण कर देते। वे इस तरह से नौका को आग के हवाले नहीं करते। इस सिलसिले में यह ध्यान देने वाली बात है कि पश्चिम के देशों में खासकर अमेरिका में राजनीतिक दलों में चाहे जितना भी मतभेद हो आंतरिक सुरक्षा के मामलों में उनमें पूरी तरह एकता रहती है। विपक्षी पार्टियां सरकार के कदमों का भरपूर समर्थन करती हैं। क्योंकि वे जानती हैं कि देश की सुरक्षा के लिए सरकार जो भी कदम उठाती है वह हर दृष्टिकोण से जायज है। इसी कारण अमेरिका में 9/11 के बाद कोई आतंकी घटना नहीं घट सकी। क्योंकि सभी राजनीतिक पार्टियां एक हैं और सारे देश की जनता सजग है।
यहां यह याद रखने वाली बात है कि गुजरात में प्रवासी भारतीयों का सम्मेलन हो रहा है और ‘वायब्रेंट गुजरात सम्मेलन’ में प्रधानमंत्री के साथ-साथ संसार के अनेक महत्वपूर्ण लोग आ रहे हैं। पाकिस्तान निश्चित रूप से इस तरह के सम्मेलन को ध्वस्त करना चाहेगा और वह संसार को यह दिखाने का प्रयास करेगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की आगामी भारत यात्रा सुरक्षित नहीं है। यही नहीं, लाख मना करने के बाद भी पाकिस्तान जिस तरह भारतीय सीमा पर दिन रात गोले बरसा रहा है उससे एक बात तो स्पष्ट है कि पाकिस्तान की नीयत साफ नहीं है। पाकिस्तान के सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा पर गोले बरसाने से सेना और बीएसएफ के जवान तो मारे ही जा रहे हैं, अनेक निदरेष नागरिकों की भी हत्या हो रही है और डर से सैकड़ों नागरिक सीमा क्षेत्र से अन्यत्र पलायन कर चुके हैं। पाकिस्तान की गोलाबारी से सीमावर्ती क्षेत्र में नागरिकों का किस तरह नुकसान हुआ है और किस तरह गोलों से उनके घरों को ढहाया गया है वह प्रतिदिन टीवी के विभिन्न चैनलों पर दिखाई पड़ता है। अब तो पाकिस्तान के सैनिक 4 मील की दूरी तक मोर्टार दाग रहे हैं जिससे निदरेष नागरिक मारे जा रहे हैं। वायु सेना के एक शीर्ष अफसर ने हाल ही में कहा था कि सुरक्षा के मामले में देश एक नाजुक दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान अपनी गोलाबारी बंद नहीं कर रहा है और उसे बंद करने की उसकी नीयत भी नहीं है। चीन पाकिस्तान को न केवल अस्त्र-शस्त्र सप्लाई कर रहा है बल्कि उसके सैनिकों को युद्ध करने की ट्रेनिंग भी दे रहा है। यह मानकर चलना चाहिए कि भारत की सीमा पर अवस्थित ये दोनों परमाणु संपन्न देश भारत के कट्टर दुश्मन हैं और हर भारतीय को इसका मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह भी खबर आई है कि कट्टरपंथी आतंकी हाफिज सईद कुछ दिन पहले भारत-पाक सीमा पर देखा गया है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। ऐसे में सरकार के कदमों की कटु आलोचना करना उचित नहीं है। क्योंकि यदि देश सुरक्षित रहेगा तभी सभी राजनीतिक दल सुरक्षित हैं। तभी देश की जनता सुरक्षित है। आपस में एक दूसरे की कटु आलोचना करके हम केवल दुश्मनों के मनोबल को बढ़ा रहे हैं और अपनी सेना के जवानों और तटरक्षकों के मनोबल को गिरा रहे हैं। किसी भी हालत में यह देश हित का कार्य नहीं है। यह एक संतोष का विषय है कि विपक्षी पार्टियों के कुछ शीर्ष नेताओं ने अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं की कटु आलोचना की है और कहा है कि जब देश की सुरक्षा का सवाल हो तब सरकार के कदमों पर कोई प्रश्न चिह्न् लगाना उचित नहीं है। इसलिए अब तक जो गलतियां हो गईं उन पर विराम लगाना चाहिए और प्रयास यह करना चाहिए कि सभी राजनीतिक दल भारत की जनता से अपील करें कि देश एक नाजुक दौर से गुजर रहा है। अत: देश में एकता बनाये रखने की आवश्यकता है। 2015 में भारत को अनेक चुनौतियों का सामना करना है, परंतु सबसे बड़ी चुनौती भारत की सुरक्षा है। यदि भारत की सुरक्षा किसी भी तरह खतरे में पड़ेगी तो विदेशी निवेशक भी भारत आने से हिचकेंगे और इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। अत: हर भारतीय का कर्त्तव्य है कि वह पूरे आत्मविश्वास से दुश्मनों का मुकाबला करे। क्योंकि पूरे भारत में ‘स्लीपर सेल’ भरे हुए हैं और वे कभी भी उठ खड़े होकर आतंकवादी हरकतें कहीं भी कर सकते हैं।
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