गर्भवती महिलाएं रहें सावधान! धूम्रपान करने से बच्चे को हो सकता है अस्थमा, जानें कारण और लक्षण

Asthma and Pregnant Women: आज के बदलते युग में महिलाओं के लिए धूम्रपान करना आम बात हो गई है। हालांकि ये तो सब जानते हैं कि धूम्रपान करने से कई तरह की बीमारियां होती हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, गर्भवती महिलाओं के धूम्रपान करने का असर उनके बच्चों पर पड़ता है। जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं, उनमें अक्सर अस्थमा के लक्षण पाए जाते हैं। कई मामलों में अस्थमा का असर उनके बच्चों पर देखा गया है।
क्या कहती है राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की रिपोर्ट?
गर्भावस्था में धूम्रपान करने को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की तरफ से एक रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें बताया गया है कि गर्भावस्था में महिलाओं के धूम्रपान करने से बच्चों पर काफी असर पड़ता है। शैशवावस्था और किशोरावस्था के दौरान भी इसका असर देखने को मिलता है। कई मामलों में धूम्रपान करने के कारण बच्चों में भी अस्थमा की शिकायत देखने को मिली है। इसलिए महिलाओं को गर्भावस्था में धूम्रपान करने से बचना चाहिए।
क्या है अस्थमा?
बता दें अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है। इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने और उससे लड़ने के लिए हर साल वर्ल्ड अस्थमा-डे मनाया जाता है। साल (2025) में वर्ल्ड अस्थमा-डे 6 मई को मनाया जा रहा है। अस्थमा को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि अस्थमा लोगों की मौत तक का कारण बन जाता है।
बुजुर्गों और महिलाओं के लिए अधिक नुकसानदायक है अस्थमा
धूम्रपान करने से अधिकतर लोगों को खांसी, छाती में जकड़न, सांस ठीक से न आना इत्यादि की समस्या होती है, लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। यह छोटी-छोटी बीमारी ही बाद मे अस्थमा को जन्म देती हैं। यह गंभीर बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती हैं। ये बीमारी वृद्धों और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है।
अस्थमा के लक्षण क्या हैं?
- सांस फूलना
- खुलकर सांस न आना
- चेहरे, होंठ व नाखून का पीला पड़ना
- जल्दबाजी में सांस लेना
- ज्यादा पसीना आना आदि।
अस्थमा होने के कारण
- फैमिली हिस्ट्री: किसी भी परिवार में अगर कोई अस्थमा का मरीज है, तो आपको अस्थमा होने के चांस बढ़ जाते हैं। इसे जेनेटिक्स भी कहा जाता है। ये पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
- स्मोकिंग करना: सिगरेट का धुआ हमारे सांस की नली को प्रभावित करता है। स्मोकिंग करने से खांसी, सांस लेने में तकलीफ और अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है।
- वायरल श्वसन इंफेक्शन: वायरल संक्रमण से पीड़ित लोगों को कुछ समय बाद क्रोनिक अस्थमा की शिकायत होने लगती है।
- वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण में अस्थमा को और बढ़ावा मिलता है। हवा में मौजूद प्रदूषण के कण हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण हमें सांस से जुड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
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(Edit by: Sapna kumari)
