साहित्यकारों के समर्थन में आए गुलजार, बोले- पहले कभी नहीं देखा ऐसा भय का माहौल

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By - haribhoomi.com |24 Oct 2015 6:30 PM
साहित्यकारों की इस हालत के लिए सरकार जिम्मेदार- गुलजार
नई दिल्ली. बॉलीवुड के सबसे अनुभवी गीतकार गुलजार ने सम्मान लौटाने वाले साहित्यकारों का समर्थन किया है। हाल ही में हुई सांप्रदायिक घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा अनिश्चिततापूर्ण और भय का माहौल उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। कलबुर्गी की हत्या के बाद जिस तरह से लेखकों ने अपनी आवाज बुंलद कर सम्मान लौटाने का फैसला किया है वह सराहनीय है।
गुलजार ने कहा कि देश में चारों और फैले सांप्रदायिक माहौल से जो डर बना हुआ है, वह विचलित कर देने वाला है। उन्होंने भारत में में ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा।
गुलजार ने कहा कि देश में चारों और फैले सांप्रदायिक माहौल से जो डर बना हुआ है, वह विचलित कर देने वाला है। उन्होंने भारत में में ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा।
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उन्होंने कहा कि साहित्यकारों द्वारा लौटाए जा रहे सम्मान को लेकर पर वह काफी चिंतित थे। लेकिन अब वह लेखकों के दर्द को समझते हुए उनके विचारों का समर्थन करते हैं। उन्होंने साहित्य अकादमी को दोष देते हुए सरकार पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहले कभी सोचा भी नहीं गया था किसी व्यक्ति का नाम पूछने पर उसके धर्म विशेष का आंकलन किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि साहित्यकारों द्वारा लौटाए जा रहे सम्मान को लेकर पर वह काफी चिंतित थे। लेकिन अब वह लेखकों के दर्द को समझते हुए उनके विचारों का समर्थन करते हैं। उन्होंने साहित्य अकादमी को दोष देते हुए सरकार पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहले कभी सोचा भी नहीं गया था किसी व्यक्ति का नाम पूछने पर उसके धर्म विशेष का आंकलन किया जा सकता है।
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गुलजार साहित्यकारों की इस दयनीय हालत का जिम्मेदार सरकार को मानते हैं। उन्होंने कहा कि एक लेखक की समाज को सही दिशा दिखाने में अहम भूमिका होती है। 'लेखक समाज की चेतना को जगाने और जमीर को संभालने वाले लोग होते हैं। लेखक क्या राजनीति करेगा बेचारा। वो तो बस दिल की बात करेगा। वह जमीर की बात कर रहा है।'
गुलजार साहित्यकारों की इस दयनीय हालत का जिम्मेदार सरकार को मानते हैं। उन्होंने कहा कि एक लेखक की समाज को सही दिशा दिखाने में अहम भूमिका होती है। 'लेखक समाज की चेतना को जगाने और जमीर को संभालने वाले लोग होते हैं। लेखक क्या राजनीति करेगा बेचारा। वो तो बस दिल की बात करेगा। वह जमीर की बात कर रहा है।'
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