एक से ज्यादा शादियों के लिए कुरान का हो रहा है गलत इस्तेमाल: हाईकोर्ट

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By - haribhoomi.com |5 Nov 2015 6:30 PM
आईपीसी की यह धारा एक से ज्यादा पत्नियां रखने पर सजा से जुड़ी है।
अहमदाबाद. गुरुवार को गुजरात हाई कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कड़े शब्दों में कहा कि मुस्लिम पुरुषों द्वारा एक से ज्यादा पत्नी रखने या बहुविवाह प्रथा को जिन्दा रखने के लिए कुरान की गलत व्याख्या की जा रही है। ये लोग 'स्वार्थी कारणों' के चलते बहुविवाह के प्रावधान का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
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इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अदालत ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि देश समान नागरिक संहिता को अपना ले क्योंकि ऐसे प्रावधान संविधान का उल्लंघन हैं। न्यायाधीश जेबी पारदीवाला ने भारतीय दंड संहिता की धारा 494 से जुड़ा आदेश सुनाते हुए यह टिप्पणियां कीं। आईपीसी की यह धारा एक से ज्यादा पत्नियां रखने पर सजा से जुड़ी है।
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याचिकाकर्ता जफर अब्बास मर्चेंट ने हाईकोर्ट से संपर्क करके उसके खिलाफ उसकी पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को खारिज करने का अनुरोध किया था। पत्नी ने आरोप लगाया था कि जफर ने उसकी सहमति के बिना किसी अन्य महिला से शादी कर ली। प्राथमिकी में, जफर की पत्नी ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 494 (पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दोबारा विवाह करना) का हवाला दिया। हालांकि जफर ने अपनी याचिका में दावा किया था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ मुसलमान पुरुषों को चार बार विवाह की अनुमति देता है और इसलिए उसके खिलाफ दायर प्राथमिकी कानूनी जांच के दायरे में नहीं आती।
पारदीवाला ने अपने आदेश में कहा, 'मुसलमान पुरुष एक से अधिक पत्नियां रखने के लिए कुरान की गलत व्याख्या कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'कुरान में जब बहुविवाह की अनुमति दी गई थी, तो इसका एक उचित कारण था। आज जब पुरुष इस प्रावधान का इस्तेमाल करते हैं तो वे ऐसा स्वार्थ के कारण करते हैं। बहुविवाह का कुरान में केवल एक बार जिक्र किया गया है और यह सशर्त बहुविवाह के बारे में है।'
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