टैक्स सेविंग विकल्प से पीपीएफ पर पाएं ज्यादा ब्याज, जानिए खास टिप्‍स

टैक्स सेविंग विकल्प से पीपीएफ पर पाएं ज्यादा ब्याज, जानिए खास टिप्‍स
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यह योजना भारत सरकार की है और इसमें पैसे डूबने का भी कोई खतरा नहीं है।

नई दिल्‍ली. टैक्स सीजन के अंतिम समय में इस बात की बड़ी उलझन रहती है कि निवेश के लिए आखिर किस विकल्प का चयन किया जाए। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) उन करदाताओं के लिए निवेश का अच्छा विकल्प हो सकता है जो अपने निवेश पर जोखिम नहीं उठाना चाहते और जिनका आर्थिक लक्ष्य 15 वर्ष दूर है। यह योजना भारत सरकार की है और इसमें पैसे डूबने का भी कोई खतरा नहीं है।

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धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की सीमा तक इसमें निवेश कर आयकर में कटौती का लाभ ले सकते हैं। मैच्योरिटी पर मिलने वाले पैसे (मूलधन और ब्याज) पर कर नहीं लगाया जाता है। हालांकि, करदाताओं को चाहिए वह सिर्फ पीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज पर ही गौर न करें, यह भी देखें कि महंगाई दर की तुलना में पीपीएफ पर कितना ब्याज मिल रहा है। महंगाई दर में से पीपीएफ की ब्याज दर घटाने के बाद मिलने वाला रिटर्न वास्तविक रिटर्न होता है।

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ऐसे तय होती है पीपीएफ की ब्याज दर: पीपीएफ की ब्याज दरें फिक्स्ड नहीं रहीं। अब यह 10 साल वाले सरकारी बांड की यील्ड से जुड़ा हुआ है और यह औसत बांड यील्ड से 0.25 फीसदी अधिक होता है। सरकार प्रत्येक वर्ष पीपीएफ के ब्याज दरों की घोषणा करती है। वित्त वर्ष 2014-15 के लिए सरकार ने 8.70 फीसदी सालाना ब्याज की घोषणा की है। आपके पीपीएफ खाते पर मिलने वाला ब्याज मूलधन में सालाना जुड़ता जाता है।
लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि इसकी गणना मासिक आधार पर आपके खाते में प्रत्येक महीने की पांचवी तारीख से महीने की अंतिम तारीख तक उपलब्ध सबसे कम राशि पर की जाती है। इसलिए अगर आप महीने की पांच तारीख को पीपीएफ खाते में पैसे जमा करवाते हैं तो आपको उस महीने का ब्याज नहीं मिलेगा।
ऐसे पाएं बेहतर रिटर्न: पीपीएफ से बेहतर रिटर्न पाने के लिए आप साल में एक बार एकमुश्त जमा करवा सकते हैं। प्रत्येक महीने मूलधन पर गणना किया जाने वाले ब्याज में बढ़ोतरी होगी। दूसरा तरीका है, प्रत्येक महीने पीपीएफ खाते में पैसे जमा कराना। ऐसे में आप प्रत्येक महीने की पहली से चौथी तारीख तक पीपीएफ खाते में पैसे जमा करवा दें।
इक्विटी और डेट में संतुलित निवेश करें: भले आपका लक्ष्य टैक्स सेविंग का हो लेकिन इसे अपने विभिन्न आर्थिक लक्ष्यों से जोड़ें, जैसे 15 साल बाद रिटायरमेंट या 5 साल बाद बड़ी कार की खरीदारी, 10 साल बाद बच्चों की उच्च शिक्षा आदि। अपने निवेश को इन्हीं लक्ष्यों के हिसाब से इक्विटी और डेट में आवंटित करें। पीपीएफ में निवेश का सहारा तभी लें जब आप इक्विटी में निवेश कर चुके हों और अपने निवेश पोर्टफोलियो को संतुलित करने के लिए डेट में लंबी अवधि का निवेश करना चाहते हों।
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