भागीरथी की धारा पर टिकी नजर, मंडरा रहा तबाही का खतरा

भागीरथी की धारा पर टिकी नजर, मंडरा रहा तबाही का खतरा
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डीएम दफ्तर से महज 500 मीटर की दूरी पर बसे तिलोथ गांव पर खतरा मंडरा रहा है।
उत्तरकाशी. डीएम दफ्तर से महज 500 मीटर की दूरी पर बसे तिलोथ गांव पर खतरा मंडरा रहा है। सालभर में खानापूर्ति के अंदाज में हुए बाढ़ सुरक्षा कार्यों पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी गांव असुरक्षित है। अब बरसात सीजन शुरू होने पर तटवर्ती क्षेत्र के ग्रामीण रात को चैन की नींद भी नहीं सो पा रहे हैं। दिन हो या रात उनकी निगाहें भागीरथी की जलधारा पर टिकी हैं।
आपदा को भले एक साल बीत गया हो, लेकिन तिलोथ गांव के ग्रामीणों के जख्म आज भी हरे हैं। उनकी आंखों में आज भी 16-17 जून 2013 की बाढ़ का मंजर तैर रहा है। गांव में पिछले साल आधा दर्जन आवासीय भवन बाढ़ की भेंट चढ़ गए और पूरा गांव खतरे की जद में आ गया था। गांव को जोड़ने वाले तिलोथ पुल की एप्रोच रोड भी बाढ़ की भेंट चढ़ी और ग्रामीणों की कृषि भूमि भी तबाह हुई थी।
इसके बावजूद प्रशासन ने एक साल में गांव की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की। जिला मुख्यालय से लगे तिलोथ गांव में विलंब से शुरू हुए बाढ़ सुरक्षा कार्य अभी शुरूआती स्तर पर ही हैं और वह भी अब नदी का जलस्तर बढ़ने से ठप हो गए हैं। नदी का रुख गांव की ओर होने से ग्रामीणों में दहशत है। गांव के सत्य नारायण बताते हैं कि पूरे साल प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई, लेकिन लापरवाह प्रशासन ने कुछ नहीं किया। अब नदी में पानी बढ़ने से रातों को नींद नहीं आ रही है। एक साल बाद भी सुरक्षित नहीं हो पाया गांव गत वर्ष आधा दर्जन भवन बाढ़ की भेंट चढ़ गए थे।
नीचे की स्‍लाइड्स में पढ़िए, धारमंडल के छह गांव पड़े अलग-थलग-
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