क्या आप भी हैं इन व्हाट्सएप ग्रुप्स से परेशान?

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By - haribhoomi.com |9 Jun 2016 12:00 AM IST
रिश्तेदारों के ग्रुप में लोग या तो त्योहारों और रस्मों की बातें करते हैं या फिर जन्मदिन की शुभ-कामनाएं देते हैं।
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नई दिल्ली. सोशल मीडिया की दुनिया में कोई भी इससे बचा हुआ नहीं है। आजकल जिसे देखों वॉट्सएप पर लगे रहते है। वॉट्सएप पर हमारे कई ग्रुप बने होते है। शरुआत में तो मजा आता है। लेकिन एक समय के बाद बोरियत होने लगती है। न चाहकर भी कई बार ग्रुप डिलीट नहीं पाते।
‘लास्ट सीन’ देखकर कोई भी इस बात का अंदाजा लगा सकता है कि आप कब तक ऑनलाइन थे। ऐसे में झूठ बोलना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। और हां, उन ब्लू टिक्स का क्या...मैसेज पढ़ा तो जवाब देना पड़ेगा। कुछ ग्रुप हम अपनी मर्जी से चुनते हैं और कुछ ग्रुप्स में हमें जबरदस्ती शामिल कर लिया जाता है और हम चाहकर भी उनसे अलग नहीं हो पाते हैं। एक नजर डालिए इन पांच वॉट्सएप ग्रुप्स पर...
1. द फ्रेंन्ड्स ग्रुप
दोस्तों के ग्रुप अच्छे होते हैं। ये ऐसे ग्रुप्स होते हैं जहां आप वीकेंड प्लान डिस्कस कर सकते हैं। दोस्तों को जन्मदिन की बधाई दे सकते हैं। ये ऐसा ग्रुप होता है जहां आप अपने रियल इमोशन्स को जाहिर कर सकते हैं। जहां बजाय हेलो लिखने के आप एक वेविंग हैंड बनाकर भी काम चला सकते हैं।
2. रिश्तेदारों का ग्रुप
हम में से ज्यादातर लोग चाहते होंगे कि वो इसका हिस्सा न बनें लेकिन ऐसा कर पाना इतना आसान भी तो नहीं। इस ग्रुप में ज्यादातर दो ही तरह की बातें होती हैं। यहां लोग या तो त्योहारों और रस्मों की बातें करते हैं या फिर जन्मदिन की शुभ-कामनाएं देते हैं। इस ग्रुप में कोई न कोई तो ऐसा जरूर होता है जिसे रात को नींद नहीं आती और वो दूसरों को भी चैन से सोने नहीं देता है।
3. लेट्स मेक अ प्लान ग्रुप
कई बार ऐसा होता है कि इस ग्रुप में लड़ाई-झगड़ा हो जाने की वजह से लोग इस ग्रुप को छोड़कर चले जाते हैं। ऐसे ग्रुप ज्यादातर रात के समय बनते हैं जब सदियों के बिछड़े मिलते हैं और दोनों ही पक्षों को अचानक से ये एहसास हो जाता है कि सामने वाला उतना भी बुरा नहीं था जितना उसे समझा गया। कई सारे अंगूठे भेजे जाते हैं और आगे भी एक-दूसरे के संपर्क में रहने की योजना बनाई जाती है। फिर सालों तक न तो कोई किसी का हाल लेता है और न चाल पूछता है और एक दिन गलत विंडो का साइन दिखने लग जाता है।
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4. सब-ग्रुप
अच्छा इस बात से तो कोई इनकार नहीं कर सकता है कि हमारे कुछ दोस्त ‘ऐसे ही’ वाले होते हैं तो कुछ बेहद खास। इन ‘ऐसे ही’ दोस्तों और खास दोस्तों को अलग-अलग रखने के लिए ये सब ग्रुप बनाया जाता है। पर कई बार कन्फ्यूजन इतना बढ़ जाता है कि यहां का मैसेज वहां और वहां का मैसेज यहां पोस्ट हो जाता है। कई बार तो ऐसी बातें भी गलत जगह पहुंच जाती हैं जहां उनका जिक्र भी नहीं करना होता है।
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