धड़कन से आंखों तक सब बनेंगे पासवर्ड, कंप्यूटर चलाने की तकनीक विकसित

धड़कन से आंखों तक सब बनेंगे पासवर्ड, कंप्यूटर चलाने की तकनीक विकसित
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आंखों की पुतली और उंगली को स्कैन करके कंप्यूटर चलाने की तकनीक विकसित की गई है।
न्यूयॉर्क. ऐसा ही एक महत्वपूर्ण शोध अमेरिका की पड्यरू यूनिवर्सिटी में चल रहा है, जिसमें आंखों की पुतली और उंगली को स्कैन करके कंप्यूटर चलाने की तकनीक विकसित की गई है।
बॉयोमीट्रिक्स शोधकर्ता अब इस तकनीक की कमियां खोजने में जुटे हैं, जिससे इसे ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सके। संस्थान के निदेशक स्टेफेन इलिओट के मुताबिक इस तकनीक की मदद से
कंप्यूटर
या स्मार्टफोन के सेंसर को छूकर ही इन्हें चलाना संभव होगा। पिर्ट्सबर्ग की कार्नेज मेलन यूनिवर्सिटी भी बॉयासोल विकसित कर रही है, जिससे पांव के दबाव से लोगों की पहचान की जा सके। उधर, कनाडा के बैंक हालीफैक्स ने यूजर की धड़कन को ऑनलाइन बैंकिंग पासवर्ड बना लिया है। इसके लिए यूजर को नियामी नाम का एक बैंड पहनना होगा, जो उपभोक्ताओं की दिल की धड़कन को पहचाने में सक्षम है।
गूगल ने नया ‘ऑन बॉडी डिटेक्सन’ फीचर विकसित किया है। इसकी मदद से यूजर के हाथ में, पैरों के पास या जेब में रहने के दौरान फोन हमेशा अनलॉक रहेगा। वहीं यूजर से दूर जाते ही यह लॉक हो जाएगा। इस तरह फोन को बार-बान लॉक और अनलॉक करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज-10 से पासवर्ड का विकल्प हटा दिया है। नए हेलो फीचर के साथ ऑपरेटिंग सिस्टम इस साल रिलीज होगा। यह बायोमीट्रिक्स तकनीक के जरिए चेहरे और फिंगर प्रिंट से चलेगा।

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