एप्पल का हर तीसरा इंजीनियर भारतीय, अमेरिका स्थित एचएफएस रिसर्च ने पेश किए आंकड़े

एप्पल का हर तीसरा इंजीनियर भारतीय, अमेरिका स्थित एचएफएस रिसर्च ने पेश किए आंकड़े
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एप्पल के इंजीनियरों में लगभग एक तिहाई भारतीय हैं जो या तो एच-1बी वीसा पर हैं या ग्रीन कार्ड होल्डर हैं।
नई दिल्ली. अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी एप्पल के आईफोन की साख दुनिया भर में है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 171 अरब डॉलर की इस विशाल कंपनी के एक तिहाई इंजीनियर भारतीय हैं। इतना ही नहीं इसे सॉफ्टवेयर, सर्विस और सपोर्ट करने वाली भारतीय कंपनियों की भी तादाद बढ़ती जा रही है। भारतीय आईटी वेंडर कंपनियां इसके साथ काम कर रही हैं। यह खबर एक अंग्रेजी अखबार ने दी है।
इस बात का उदाहरण इस तथ्य से मिलता है कि कंपनी ने 2010 से 2010 तक एच-1बी वीजा के लिए 1,750 ऐप्लीकेशन दाखिल किए थे लेकिन 2011 से 2013 के बीच इस संख्या में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई और यह 2,800 तक जा पहुंची। अमेरिका स्थित एचएफएस रिसर्च ने यह आंकड़े इकट्ठा किए हैं। उसका कहना है कि एच-1बी वीजा लेने वालों में ज्यादातर भारतीय होंगे। इसका मतलब हुआ कि आईफोन और आईपैड बनाने वाली इस कंपनी की भारतीय इंजीनियरों पर निर्भरता तेजी से बढ़ती जा रही है।
रिसर्च फर्म के मुख्य एनालिस्ट पारीक जैन ने बताया कि एप्पल के इंजीनियरों में लगभग एक तिहाई भारतीय हैं जो या तो एच-1बी वीसा पर हैं या ग्रीन कार्ड होल्डर हैं। रिसर्च फर्म ने यह भी कहा है कि ऐप्पल भारत स्थित कम से कम पांच आईटी वेंडरों के साथ काम करती है। इनमें से चार बड़ी कंपनियां हैं। इनके काम का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। हालांकि एप्पल ने कभी इनके नाम नहीं बताया लेकिन समझा जाता है कि इनमें इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो वगैरह हैं। एप्पल इंफोसिस के दस शीर्ष क्लाएंट में से है। उसके एक ऑफिस में इंजीनियर सिर्फ एप्पल के लिए ही काम करते हैं।
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