नदियों को जोड़ने से जलवायु परिवर्तन का खतरा, प्रभावित होगा मानसून

नदियों को जोड़ने से जलवायु परिवर्तन का खतरा, प्रभावित होगा मानसून
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नदियों का साफ पानी समुद्र में गिरना बंद हो जाए तो समुद्र का पानी उस तेज गति से गर्म नहीं होगा।
नई दिल्ली. नदियों को जोड़ने की केंद्र सरकार की योजना पर वैज्ञानिकों ने सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो इससे भारत पर जलवायु परिवर्तन का खतरा बढ़ जाएगा। यह स्थिति खासकर तब उत्पन्न होगी जब नदियों के साफ पानी को बंगाल की खाड़ी में गिरने से रोका जाएगा। अगर नदियों को आपस में जोड़ा गया तो इससे समुद्र के पानी की गुणवत्ता में भारी बदलाव होगा, चक्रवात आएंगे और समुद्र में कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओटू) के स्तर में बढ़ोतरी होगी जिससे जलीय जीवों और समुद्र में मौजूद प्राकृतिक संपदा पर खतरा मंडराने लगेगा। ये सभी प्रभाव जलवायु परिवर्तन के कारण देखने को मिलते हैं। यहां राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ) के वैज्ञानिकों ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि नदियों को आपस में जोड़ने से मानसून के दौरान उनमें गिरने वाला साफ पानी समुद्र में जाना बंद हो जाएगा। इससे मानसून पैटर्न पूरी तरह से बदल जाएगा। नदियों का पानी समुद्र में पहुंचकर मानसून को गति देने में अहम भूमिका निभाता है। इसमें रूकावट मानसून को कमजोर कर सकती है।

अहम है बंगाल की खाड़ी-
बंगाल की खाड़ी के इलाके में पड़ने वाली नदियों महानदी, गंगा आदि से खाड़ी में हर वर्ष दो हजार क्यूबिक किलोमीटर साफ पानी जाता है। इससे एक तो खाड़ी का पानी कम खारा है और दूसरा ये समुद्र की सतह के ऊपर रहता है जबकि समुद्र के अंदर मौजूद भारी पानी नीचे चला जाता है। गर्मियों के मौसम में जब मानसूनी हवाएं भारत की तरफ बढ़ रही होती हैं तो समुद्र की सतह पर मौजूद नदियों का यही हल्का पानी गर्म होकर निम्न दबाव का क्षेत्र बनाता है और मानसून को गति देता है। अगर नदियों के समुद्र में गिरने वाले पानी में 25 फीसदी की भी कमी हुई तो मानसून और मौसम के पैटर्न पर भारी प्रभाव पड़ेगा।
ज्यादा खारा है अरब सागर का पानी
अरब सागर में नदियों का पानी कम जाता है। केवल सिंधु नदी का पानी ही उसमें गिरता है, जिसके चलते इसमें खारापन ज्यादा है। इससे अरब सागर में मौसमी सिस्टम कम बन पाते हैं और वो मानसून को आगे धकलने में भी कम मददगार होते हैं। मानसून का एक हिस्सा अरब सागर के जरिए ही आगे बढ़ता है लेकिन यह हमेशा कमजोर रहता है। जबकि बंगाल की खाड़ी इसमें अहम भूमिका निभाती है।
नदियों का साफ पानी समुद्र में गिरना बंद हो जाए तो समुद्र का पानी उस तेज गति से गर्म नहीं होगा जैसा मानसून के दौरान होता है। साफ पानी न जाने से समुद्र के अंदर का पानी जो काफी ठंडा होता है को मानसून के दौरान गर्म होने में काफी समय लगेगा। इससे बंगाल की खाड़ी में बनने वाले निम्न दबाव के क्षेत्र में बाधा आएगी और मानसून को आगे बढ़ने की गति नहीं मिलेगी। नदियों का साफ पानी काफी हल्का होता है और खारा भी इसलिए ये मानसून के आगमन पर जल्दी गर्म होकर उसे गति प्रदान करता है। एनआईओ इस मुद्दे पर आगे शोध कर रहा है।
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