Sandhya Shantaram: नहीं रहीं दिग्गज अभिनेत्री संध्या शांताराम, 'पंख होते तो', 'जा रे हट नटखट' जैसे गानों से थीं पॉपुलर

फिल्म निर्माता वी. शांतराम की पत्नी व दिग्गज अभिनेत्री संध्या शांतराम का निधन
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दिग्गज अभिनेत्री संध्या शांताराम का निधन

हिंदी और मराठी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री संध्या शांताराम का 94 की उम्र में निधन हो गया। वह मशहूर फिल्म निर्माता वी. शांताराम की पत्नी थीं। वह 195-60 की मशहूर एक्ट्रेस थीं।

Sandhya Shantaram Death: फिल्मी दुनिया से एक दुखद खबर सामने आई है। हिंदी और मराठी सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री संध्या शांताराम का 94 की उम्र में निधन हो गया है। वह प्रसिद्ध फिल्म निर्माता वी. शांताराम की पत्नी थीं। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को शिवाजी पार्क स्थित वैकुंठ धाम में किया गया।

संध्या शांताराम फिल्मों में अभिनय के अलावा अपने क्लासिकल डांस के लिए भी जानी जाती थीं। उन्होंने भारतीय सिनेमा में अहम योगदान दिया है।

मंत्री आशिष शेलार ने जताया शोक

महाराष्ट्र मंत्री आशिष शेलार ने संध्या शांताराम के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने मराठी में एक्स पर लिखा- हमने सुप्रसिद्ध अभिनेत्री संध्या शांताराम के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी आत्मा को शांति मिले, यही ईश्वर से प्रार्थना है।

1950-60 के दशक की मशहूर अदाकारा

1950 और 60 के दशक में फिल्ममेकर वी. शांताराम की फिल्मों के माध्यम से संध्या ने लोकप्रियता हासिल की थी। फिल्म 'झनक झनक पायल बाजे' (1955) से उनका करियर बुलंदियों पर पहुंचा। उन्होंने शास्त्रीय नृत्य को सिनेमा के माध्यम से नई पहचान दी थी। इसके बाद 'दो आंखें बारह हाथ' (1957) में उनके अभिनय को नवाजा गया। यह फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित हुई थी।


'नवरंग' के गाने से मिली अलग पहचान

1959 में आई फिल्म 'नवरंग' में संध्या लीड रोल में थीं। इस फिल्म का गाना “अरे जा रे हट नटखट” में उनका अभिनय और डांस ने खूब लोकप्रियता हासिल की थी। ये गाना आज भी एक क्लासिकल हिट माना जाता है।

इसके अलावा वह फिल्म सेहरा (1963) में भी नजर आईं। इसमें लता मंगेशकर की आवाज में मशहूर गाना पंख होते तो उड़ आती रे में आज भी लोकप्रिय है।

1972 में मराठी फिल्म 'पिंजरा' में उनका योगदान ऐतिहासिक रहा। इस फिल्म में उन्होंने एक लावणी नर्तकी की भूमिका निभाई, और “मला लागली कुणाची उचकी” जैसे गीत मराठी सिनेमा में सदाबहार बन गए। इस फिल्म ने मराठी सिनेमा में कल्ट क्लासिक का दर्जा प्राप्त किया।

आंध्र प्रदेश से मुंबई तक का सफर

आंध्र प्रदेश में जन्मी संध्या, फिल्मों में करियर बनाने के लिए मुंबई आईं और यहीं से उनकी किस्मत ने करवट ली। उन्होंने वी. शांताराम से शादी की और वह उनकी तीसरी पत्नी बनीं। इसके बाद इस दंपति ने प्रोफेशनल और निजी जीवन में एक साथ भारतीय सिनेमा को कई यादगार फिल्में दीं।

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