समय रैना को सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश: दिव्यांगों के लिए हर महीने कराना होगा चैरिटी इवेंट; की थी विवादित टिप्पणी

समय रैना को सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश: दिव्यांगों के लिए हर महीने कराना होगा चैरिटी इवेंट
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समय रैना (Photo- Instagram)

इंडियाज़ गॉट लेटेंट विवाद को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आया है। कॉमेडियन समय रैना और अन्य कंटेंट क्रिएटर्स को सुप्रीम कोर्ट ने हर महीने दिव्यांगजनों के लिए चैरिटी इवेंट आयोजित करने का निर्देश दिया है।

Samay Raina Controversy: कॉमेडियन समय रैना अपने शो इंडियाज़ गॉट लेटेंट को लेकर विवादों में हैं। इस शो के एक एपिसोड में उन्होंने एक दो महीने के SMA (स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी) से पीड़ित बच्चे और उसके इलाज के लिए लगने वाले 16 करोड़ रुपये के इंजेक्शन पर टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी पर क्योर एसएमए फाउंडेशन ने आपत्ति जताई और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। इस मामले में अब सुप्री कोर्ट ने समय रैना व शो में शामिल हुए अन्य कॉमेडियन्स को नया फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: हर महीने दो चैरिटी इवेंट

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना सहित चार अन्य कॉन्टेंट क्रिएटर्स- विपुल गोयल, सोनाली ठाक्कर, बलराज परमजीत सिंह घई, और निशांत जगदीश तंवर को निर्देश दिया कि वे हर महीने दिव्यांगजन, और खासकर SMA से जूझ रहे लोगों के लिए दो फंडरेज़िंग इवेंट आयोजित करें।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- “हम उम्मीद करते हैं कि अगली सुनवाई से पहले आप में से कुछ लोग ऐसे यादगार कार्यक्रम करेंगे। यह कोई दंड नहीं, बल्कि सामाजिक ज़िम्मेदारी है। आप समाज में लोकप्रिय हैं, तो इसे दूसरों के साथ साझा भी करें।”

सफलता की कहानियों को उजागर करने का भी आदेश

बेंच ने यह भी कहा कि कॉमेडियंस अपनी सोशल मीडिया और डिजिटल मौजूदगी का उपयोग करके दिव्यांग व्यक्तियों की सफल कहानियां सामने लाएं, विशेष योग्य लोगों को अपने प्लेटफॉर्म पर जगह दें, और SMA जैसे रोगों के इलाज के लिए फंडरेज़िंग को बढ़ावा दें।

सुप्रीम कोर्ट ने यह उम्मीद जताई कि अगली सुनवाई से पहले समय रैना और अन्य कॉन्टेंट क्रिएटर्स ऐसा एक-दो कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

शो के एक एपिसोड में समय रैना ने SMA इलाज में उपयोग होने वाली बेहद महंगी जीन थेरेपी Zolgensma का ज़िक्र करते हुए मज़ाक किया था कि यदि किसी परिवार को अचानक 16 करोड़ रुपये मिल जाएं तो उनकी प्रतिक्रिया कैसी होगी। इस टिप्पणी को क्योर एसएमए फाउंडेशन ने “असंवेदनशील” बताया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।


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