Sreenivasan Death: नहीं रहे मलयालम सिनेमा के दिग्गज, श्रीनिवासन का 69 की उम्र में निधन; कमल हासन, शशि थरूर ने जताया शोक

मलयालम सिनेमा के दिग्गज अभिनेता-निर्देशक श्रीनिवासन का 69 की उम्र में निधन
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मलयालम सिनेमा के दिग्गज अभिनेता-निर्देशक श्रीनिवासन का 69 की उम्र में निधन

मलयालम सिनेमा के दिग्गज अभिनेता, निर्देशक और स्टोरी राइटर श्रीनिवासन का 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे श्रीनिवासन के निधन से फिल्म जगत में शोक की लहर है।

Sreenivasan Death: मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के वरिष्ठ अभिनेता, निर्देशक और पटकथा लेखक श्रीनिवासन का शनिवार को केरल के एर्नाकुलम ज़िले के त्रिपुनिथुरा में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 69 वर्षीय श्रीनिवासन के निधन से साउथ सिनेमा, खासकर मलयालम फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

श्रीनिवासन अपने पीछे दो बेटे- विनीत श्रीनिवासन और ध्यान श्रीनिवासन को छोड़ गए हैं, जो दोनों ही मलयालम सिनेमा के जाने-माने नाम हैं।

करीब 50 साल तक सिनेमा से जुड़े रहे श्रीनिवासन ने अपने करियर में 225 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। वह आम आदमी के किरदारों को सादगी, ईमानदारी और हल्के व्यंग्य के साथ पर्दे पर उतारने के लिए जाने जाते थे। उनकी फिल्मों में समाज, रिश्तों और रोज़मर्रा की समस्याओं की गहरी झलक देखने को मिलती थी, जिससे दर्शक आसानी से जुड़ पाते थे।

कमल हासन, पृथ्वीराज सुकुमारन ने जताया शोक

उनके निधन की खबर सामने आते ही कई फिल्मी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया। अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने सोशल मीडिया पर उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे बेहतरीन कलाकारों में से एक बताते हुए अंतिम विदाई दी। एक्टर कमल हासन और शशि थरूर ने भी शोक जताया है।




श्रीनिवासन का करियर

श्रीनिवासन का जन्म 6 अप्रैल 1956 को केरल के थलास्सेरी के पास पट्यम गांव में हुआ था। उन्होंने कदीरूर से शुरुआती पढ़ाई की और बाद में मट्टन्नूर के PRNSS कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। सिनेमा के प्रति जुनून ने उन्हें चेन्नई स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ तमिलनाडु तक पहुंचाया, जहां से उन्होंने फिल्ममेकिंग की पढ़ाई की।

मलयालम सिनेमा में छोड़ी अमिट छाप

एक अभिनेता के तौर पर श्रीनिवासन ने हर तरह के किरदार निभाए, लेकिन आम इंसान की भूमिका में उनकी सच्चाई और सहजता सबसे ज्यादा सराही गई। पटकथा लेखक के रूप में उन्होंने 'ओदारुथम्मवा आलारियाम', 'संदेशम', 'नाडोडिक्कट्टू' और 'ज्ञान प्रकाशन' जैसी यादगार फिल्में दीं। उनकी लेखनी में तीखा हास्य, सामाजिक व्यंग्य और व्यवस्था पर सवाल उठाने की हिम्मत साफ झलकती थी।

निर्देशक के रूप में भी उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। 'वडक्कुनोक्कियंत्रम' और 'चिंताविष्टयाय श्यामला' जैसी फिल्मों जैसा इमोशनल फिल्मों से उन्होंने मानवीय भावनाएं बड़े पर्दे पर उतारीं। इसके अलावा, निर्माता के रूप में भी वह कथा परयुम्पोल और थट्टथिन मरयथु जैसी सफल फिल्मों से जुड़े रहे।

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