थिएटर से बॉलीवुड तक का सफर: अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने साझा की संघर्ष की कहानी

Himani shivpuri
मधुरिमा रजपाल, भोपाल। भारत भवन में आयोजित प्रणति पर्व में प्रस्तुति देने पहुंचीं मशहूर अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने अपने जीवन के अनकहे अनुभव साझा किए। हरिभूमि से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि किस तरह थिएटर से लेकर बॉलीवुड तक का सफर, संघर्ष और गलतफहमियों से भरा रहा।
पिता और कारंत सर की वजह से शुरू हुआ थिएटर
हिमानी शिवपुरी ने बताया कि वह देहरादून के एक छोटे गांव से हैं। 40-45 साल पहले थिएटर को समाज अच्छी नजर से नहीं देखता था। इसी बीच उनका सिलेक्शन अमेरिका के एमएस प्रोग्राम और एनएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) दोनों में हुआ। परिवार अमेरिका भेजना चाहता था, लेकिन उनके पिता ने साथ दिया। कारंत सर ने उनके पिता से कहा – ''टैलेंट है न इस लड़की में, जो करना है उसे करने दीजिए। यहां नाटक करेगी तो खुश रहेगी, अमेरिका जाकर नहीं।'' इसी के बाद थिएटर की शुरुआत हुई और उनका पहला नाटक 'विद्यासुंदरी' रहा।
करण जौहर से जुड़ी गलतफहमी
हिमानी शिवपुरी ने बताया कि उन्होंने करण जौहर की फिल्मों कुछ कुछ होता है और कभी खुशी कभी ग़म में काम किया। हालांकि, उसके बाद करण की किसी फिल्म में उन्हें मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा – ''कभी खुशी कभी ग़म के लास्ट सीन पर करण ने कहा कि आपके साथ काम करके अच्छा लगा। मैंने मज़ाक में कहा, अगली बार अच्छा रोल देना। शायद इसे उन्होंने गलत ले लिया और बाद में मुझे 'कल हो ना हो' से बाहर कर दिया गया।''
संघर्ष और डिप्रेशन
हिमानी शिवपुरी ने स्वीकार किया कि फिल्म इंडस्ट्री में कई बार उन्हें डिप्रेशन का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री में 90 दिन में पेमेंट की शर्त के कारण कई बार पैसे डूब जाते हैं। “एक बार मेरे 9 लाख रुपये नहीं दिए गए।” उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री एक बिजनेस है, जहां गॉडफादर के बिना काम करना मुश्किल होता है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
किरदारों में खुद को भूल जाती हूं
अभिनेत्री ने कहा, ''मेरे लिए हर रोल दिल के करीब है। चाहे पॉजिटिव हो या नेगेटिव, मैं किरदार में इतनी रम जाती हूं कि उस वक्त भूल जाती हूं कि मैं हिमानी हूं।''
उन्होंने यह भी बताया कि उनकी जल्द ही दो नई फिल्में आने वाली हैं, जिनमें से एक में संजय मिश्रा भी नजर आएंगे।
