निर्देशक पार्थो घोष का हार्ट अटैक से निधन: 90's में लाए थे 'अग्नि साक्षी', '100 डेज' जैसी थ्रिलर फिल्मों का युग

filmmaker Partho Ghosh died at 75 due to a heart attack, known for 100 Days, Agni Sakshi
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दिग्गज निर्देशक पार्थो घोष का निधन

दिग्गज निर्देशक पार्थो घोष का 75 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें '100 डेज' और 'अग्नि साक्षी' जैसी थ्रिलर फिल्मों के निर्देशन के लिए जाना जाता था।

Partho Ghosh passed away: हिंदी सिनेमा के दिग्गज फिल्म फिल्ममेकर पार्थो घोष अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार सुबह मुंबई के मड आइलैंड स्थित आवास पर उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके कारण उनका निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। उनके निधन की पुष्टि अभिनेत्री ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट के जरिए की है। पार्थो घोष ने 90 के दशक में थ्रिलर और सामाजिक ड्रामा को एक नई दिशा दी। निधन के बाद वे अपने पीछे पत्नी गौरी घोष को छोड़ गए हैं।

फिल्म इंडस्ट्री को गहरा झटका
ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने पार्थो घोष को श्रद्धांजलि देते हुए एक मीडिया से कहा-"शब्दों से परे दुखी हूं। हमने एक प्रतिभाशाली निर्देशक, एक दूरदर्शी फिल्मकार और एक बेहद विनम्र इंसान को खो दिया है। पार्थो दा, आपने स्क्रीन पर जो जादू रचा, वो हमेशा याद रहेगा। आपकी आत्मा को शांति मिले।"

पार्थो घोष ने बनाई इंडस्ट्री में बड़ी पहचान
पार्थो घोष ने 1985 में असिस्टेंट डायेरक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। लेकिन 1991 में आई '100 डेज़' ने उन्हें बतौर निर्देशक बड़ी पहचान दिलाई। जैकी श्रॉफ और माधुरी दीक्षित स्टारर इस फिल्म ने सस्पेंस और थ्रिलर की दुनिया में नया आयाम जोड़ा। यह फिल्म तमिल मूवी नूरवाथु नाल’ की रीमेक थी, जो खुद एक इटालियन फिल्म से प्रेरित थी।

पार्थो घोष की फिल्में रहीं सफल
1992 में उन्होंने दिव्या भारती और अविनाश वाधवा के साथ रोमांटिक फिल्म ‘गीत’ का निर्देशन किया। लेकिन 1993 की फिल्म ‘दलाल’ ने उन्हें इंडस्ट्री में एक बड़ा मुकाम दिलाया। मिथुन चक्रवर्ती और आयशा झुल्का स्टारर यह फिल्म साल की बड़ी हिट साबित हुई।

1996 में आई फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ को क्रिटिक्स और दर्शकों दोनों से खूब सराहा। नाना पाटेकर, मनीषा कोइराला और जैकी श्रॉफ की मुख्य भूमिकाओं वाली यह फिल्म घरेलू हिंसा जैसे गंभीर विषय को पर आधारित थी।

बनाईं वर्सेटाइल फिल्में
पार्थो घोष केवल थ्रिलर या ड्रामा तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने ‘तीसरा कौन?’ (1994), ‘गुलाम-ए-मुस्तफा’ (1997), और ‘युगपुरुष’ (1998) जैसी फिल्मों के जरिए अलग-अलग शैलियों की फिल्में बनाईं। 2010 में उन्होंने ‘एक सेकंड… जो जिंदगी बदल दे?’ के माध्यम से यह दिखाया कि एक पल किस तरह किसी की जिंदगी की दिशा बदल सकता है।

2018 में उन्होंने ‘मौसम इकरार के दो पल प्यार के’ के जरिए फिल्मी दुनिया में वापसी की थी। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाई।

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