Aamir Khan Interview: आमिर खान ने अपनी डॉक्युमेंट्री को लेकर किए बड़े खुलासे
हमेशा से कुछ हटके करने वाले आमिर खान ने गणतंत्र दिवस के दिन फॉरगिवनेस (क्षमा) पर बेस्ड ‘रू- ब- रू रोशनी’ नाम की एक डॉक्युमेंट्री फिल्म टीवी पर रिलीज की, जिसकी काफी चर्चा रही। इंडस्ट्री के कुछ सितारे सोशल प्लेटफॉर्म पर इस डॉक्युमेंट्री की तारीफ कर रहे हैं। फॉरगिवनेस जैसे सब्जेक्ट पर मिस्टर परफेशनिस्ट ने क्या सोचकर फिल्म बनाई? इस डॉक्युमेंट्री फिल्म से जुड़ी और भी बातचीत आमिर खान से।

आमिर खान की फिल्मों के सब्जेक्ट हमेशा अलग हटकर और किसी न किसी सोशल इश्यू पर होते हैं। ‘थ्री इडियट्स’, ‘पीके’, ‘दंगल’ जैसी फिल्में इस बात की मिसाल हैं। आमिर ने अपनी पहली टीवी डॉक्युमेंट्री फिल्म जो बनाई है, उसका सब्जेक्ट भी अलग हटकर है, इसके जरिए भी उन्होंने सोशल इश्यू पर प्रकाश डालने की कोशिश की है। 26 जनवरी को रिलीज हुई यह डॉक्युमेंट्री सच्ची घटना पर आधारित है। ‘क्षमा दान महादान’ की थीम के साथ आमिर ने तीन कहानियों का इसमें समावेश किया, जिसमें यह बताया गया है कि इंसान चाहे तो अपने गुनहगार को क्षमा कर खुद भी इत्मिनान से रह सकता है और दूसरे को भी शांति से जीने का एक मौका दे सकता है। पेश है, इस डॉक्युमेंट्री पर आमिर खान से हुई बातचीत के प्रमुख अंश...
फॉरगिवनेस सब्जेक्ट पर डॉक्युमेंट्री बनाने का विचार जेहन में कैसे आया?
यह पूरा आइडिया इस डॉक्युमेंट्री फिल्म की डायरेक्टर स्वाति चक्रवर्ती भटकल का था। वो पूरे होमवर्क के साथ मेरे पास आई थीं। जब मैंने उनसे सच्ची घटना पर आधारित तीनों कहानियां सुनीं तो मुझे अहसास हुआ कि यह बहुत ही अहम विषय है। हम पावर ऑफ फॉरगिवनेस को भूल गए हैं। जबकि हमारे शास्त्रों में इसका उल्लेख है। हम क्यों किसी बात को पकड़ कर खुद को और दूसरे को दुख दे रहे हैं। हम भूतकाल में जाकर चीजों को फिर से ठीक तो नहीं कर सकते लेकिन भविष्य तो हमारे हाथ में है, तो हम क्यों ना सब कुछ भूलकर आगे बढ़ें, बजाय उस बात को मन में रखकर कुढ़ने के। मुझे लगा कि इस डॉक्युमेंट्री फिल्म के जरिए हम लोगों तक पावर ऑफ फॉरगिवनेस पहुंचा सकते हैं। इसलिए मैंने इसे प्रस्तुत किया।
फिल्म का टाइटल ‘रू-ब-रू रोशनी’ ही क्यों? यह आइडिया कहां से आया?
दरअसल, इस टाइटल का आइडिया हमें एक रोमी पोयम से आया, जिसका अंग्रेजी अनुवाद था- फेस टू फेस विद लाइट, तो हमने सोचा इसकी हिंदी क्या हो सकती है? तभी मेरे दिमाग में अचानक से यह टाइटल आया ‘रू-ब-रू रोशनी।’ हमें लगा कि यह टाइटल हमारी डॉक्युमेंट्री फिल्म को बहुत अच्छे से परिभाषित कर रहा है, इसलिए हमने इस टाइटल को फाइनल कर दिया।
असल जिंदगी में क्या आपने कभी किसी को क्षमा कर रिश्ते को आगे बढ़ाया है?
जी हां, बात साल 1997 की है, जब मैं जूही चावला के साथ ‘इश्क’ फिल्म कर रहा था। बात बहुत छोटी थी, लेकिन उसी बात को लेकर हमारे बीच झगड़ा हो गया था। जिससे मैं उनसे बहुत अपसेट था, जब वो सेट पर आती थीं तो मैं उनसे बात भी नहीं करता था। वो कहीं आकर बैठती तो मैं वहां से उठकर चला जाता था। मैंने पूरे सात साल उनसे बात तक नहीं की। फिर जब साल 2003 में मेरे और रीना के तलाक की खबरें आने लगीं तो मुझे जूही का एक दिन फोन आया, उन्होंने कहा कि वो मुझसे मिलना चाहती हैं और हमारे तलाक के बारे में बात करना चाहती हैं। वो घर आईं और मुझसे मिलीं। उनका ऐसे मौके पर आना, मुझे बहुत अच्छा लगा। इस तरह मैंने सब कुछ भुलाकर उन्हें माफ कर दिया।
तो क्या आपने ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ के डायरेक्टर विजय कृष्णा आचार्य को भी माफ कर दिया है?
(हंसते हुए) मुझे उन्हें माफ करने की जरूरत नहीं है। कोई डायरेक्टर जब एक फिल्म बनाता है, तो उसकी नियत अच्छी ही होती है। हर कोई चाहता है कि उसकी फिल्म अच्छी बने और सुपर हिट हो। लेकिन ऐसा हर बार हो पाना मुमकिन नहीं है। ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ के साथ भी ऐसा ही हुआ। हां, मैं यह मानता हूं कि मैं एक टीम प्लेयर हूं, अगर मेरी टीम या मेरा डायरेक्टर गलत दिशा में जाएगा तो बतौर टीम प्लेयर मेरी दिशा भी गलत ही होगी। मैं इस बात को एक्सेप्ट करता हूं कि दर्शक सिनेमा घरों में मेरी वजह से आए थे और मैंने उन्हें निराश किया है।
ऐसे में दर्शकों को खुश करने के लिए आप क्या करेंगे?
मुझे लगता है, मैं अपने चाहने वालों को एक अच्छी फिल्म करके खुश कर सकता हूं। मैं फिलहाल उसी में बिजी चल रहा हूं। मेरे पास कई कहानियां आई हैं, मुझे उनमें से तीन-चार काफी पसंद भी आई हैं, जिसे मैं आने वाले दिनों में कर सकता हूं। जिसके लिए मैं पतला भी हो रहा हूं। मैं उस फिल्म को प्रोड्यूस भी कर सकता हूं। लेकिन वो फिल्म कौन-सी होगी, यह मैं आने वाले एक महीने में डिक्लेयर कर दूंगा। फिलहाल नहीं बता सकता।
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