सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: Civil Judge भर्ती में अब 3 साल वकालत का अनुभव अनिवार्य नहीं, जानें पूरा मामला

Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पर की सुनवाई। 

यह फैसला उन हजारों लॉ ग्रेजुएट्स के लिए राहत लेकर आया है, जिन्हें बिना लंबे अनुभव के सीधे सिविल जज भर्ती परीक्षा में शामिल होने का अवसर मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें सिविल जज भर्ती के लिए 3 साल की वकालत का अनुभव अनिवार्य कर दिया गया था। इस फैसले से उन उम्मीदवारों को बड़ी राहत मिली है, जो सीधे लॉ ग्रेजुएशन के बाद न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं।

क्या था मामला?

मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम, 1994 में संशोधन कर 23 जून 2023 को अधिसूचना जारी हुई थी। इसमें कहा गया था कि सिविल जज पद के लिए उम्मीदवारों के पास या तो 3 साल का लगातार वकालत का अनुभव हो, या Excellent Law Graduate हों, जिन्होंने पहली बार में सभी परीक्षाएं पास की हों और न्यूनतम अंक (सामान्य/OBC के लिए 70%, SC/ST के लिए 50%) हासिल किए हों। इस संशोधन को चुनौती दी गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा था।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट की पीठ (न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर) ने कहा कि-केवल वही उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में शामिल होंगे जो पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं। बता दें, पिछले साल हाईकोर्ट के आदेश पर लगी रोक को जारी रखते हुए कहा गया कि 3 साल का अनुभव अनिवार्य करना उचित नहीं है। अंतरिम आदेशों के चलते कुछ अपात्र उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने दिया गया था, लेकिन अंतिम चयन में केवल योग्य उम्मीदवारों पर ही विचार होगा।

क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?

यह फैसला उन हजारों लॉ ग्रेजुएट्स के लिए राहत लेकर आया है, जिन्हें बिना लंबे अनुभव के सीधे सिविल जज भर्ती परीक्षा में शामिल होने का अवसर मिलेगा।

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