SC का बड़ा फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने BCI की AIBE फीस पर रोक से किया इंकार, जानें पूरा मामला

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जस्टिस जे.बी. पारडीवाला और संदीप मेहता की बेंच ने साफ कहा कि AIBE आयोजित करने में BCI को बड़ा खर्च करना पड़ता है और ऐसे में परीक्षा शुल्क लेना पूरी तरह से उचित है।

Supreme Court AIBE Fees: सुप्रीम कोर्ट ने AIBE फीस मामले पर अहम फैसला सुनाया है। मंगलवार (2 सितंबर) को अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन (AIBE) के लिए वसूली जाने वाली फीस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

जस्टिस जे.बी. पारडीवाला और संदीप मेहता की बेंच ने साफ कहा कि AIBE आयोजित करने में BCI को बड़ा खर्च करना पड़ता है और ऐसे में परीक्षा शुल्क लेना पूरी तरह से उचित है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था संविधान के किसी भी प्रावधान के खिलाफ नहीं है।

याचिकाकर्ता की दलील

यह याचिका अधिवक्ता सय्यम गांधी ने दायर की थी। उन्होंने कहा था कि सामान्य और ओबीसी वर्ग से ₹3,500 और एससी/एसटी वर्ग से ₹2,500 शुल्क लेना अनुचित है। उनका कहना था कि यह फीस संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(g) (पेशे का अधिकार) का उल्लंघन करती है। साथ ही इसे एडवोकेट्स एक्ट, 1961 की धारा 24(1)(f) के खिलाफ भी बताया गया।

सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पहले भी याचिकाकर्ता को सुझाव दिया गया था कि वह सीधे BCI से अपनी शिकायत रखे। अब जब BCI ने अपनी प्रक्रिया और खर्च का विवरण अदालत के सामने पेश कर दिया है, तो यह याचिका टिकाऊ नहीं रह गई।

याचिकाकर्ता ने केवल भविष्य में फीस वसूली रोकने की मांग ही नहीं की थी, बल्कि पहले से वसूली गई फीस वापस करने की भी अपील की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि BCI द्वारा तय फीस कानूनी रूप से वैध है और इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।

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