राजस्थान में अब ‘ऑन डिमांड एग्जाम’: स्टूडेंट्स की सुविधा के अनुसार होगी परीक्षा

rajasthan open school on demand exam
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परीक्षा देते हुए परीक्षार्थी 

राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल में 1 जुलाई 2025 से ऑन डिमांड एग्जाम की शुरुआत। अब स्टूडेंट्स अपनी सुविधा अनुसार तारीख चुनकर परीक्षा दे सकेंगे। जानिए पूरी प्रक्रिया।

Rajasthan: राजस्थान के स्टूडेंट्स के लिए अब परीक्षा का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। राज्य सरकार ने विद्यार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए स्टेट ओपन स्कूल में ‘ऑन डिमांड एग्जाम’ की नई प्रणाली शुरू करने का फैसला लिया है। इस नवाचार की शुरुआत 1 जुलाई 2025 से की जा रही है, जिससे स्टूडेंट्स अपनी पसंद की तारीख पर, अपनी सुविधा अनुसार परीक्षा दे सकेंगे।

राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल (RSOS) हर साल लगभग 1.50 लाख स्टूडेंट्स को माध्यमिक (10वीं) और वरिष्ठ माध्यमिक (12वीं) स्तर पर शिक्षा का अवसर देता है। इस नई परीक्षा प्रणाली से लाखों विद्यार्थियों को लचीलापन और आत्मनिर्भरता मिलेगी।

अब परीक्षा तब, जब छात्र तैयार हो
शिक्षा विभाग के निवर्तमान निदेशक आशीष मोदी ने बताया कि यह निर्णय छात्रों की मांग और उनकी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। ओपन स्कूल से जुड़े अधिकतर छात्र नौकरी, व्यापार या अन्य निजी जिम्मेदारियों के साथ पढ़ाई करते हैं। ऐसे में यह जरूरी था कि वे अपनी सुविधा के अनुसार परीक्षा दे सकें। अब छात्र जिस विषय में सबसे अधिक आत्मविश्वास रखते हैं, उसका एग्जाम पहले दे सकेंगे। यदि किसी विषय में कम अंक आते हैं, तो वे दोबारा उस विषय की परीक्षा देकर अपने प्रदर्शन को सुधार भी सकते हैं।

तीन शहरों से होगी पायलट शुरुआत

  • जयपुर – स्टेट ओपन स्कूल भवन
  • उदयपुर – S.I.E.R.T. सेंटर
  • बीकानेर – निदेशालय कार्यालय (DIET)

यहां पर ऑन डिमांड एग्जाम के लिए विशेष केंद्र बनाए गए हैं। आगे चलकर इस प्रणाली को प्रदेश के सभी जिलों में विस्तार देने की योजना है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म से आवेदन
ऑन डिमांड एग्जाम के लिए राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल की वेबसाइट पर एक नया लिंक 1 जुलाई से एक्टिव किया जाएगा। यहां छात्र अपनी पसंद की तारीख, विषय और परीक्षा केंद्र का चयन कर सकेंगे। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, क्वेश्चन बैंक, और परीक्षा सॉफ्टवेयर पहले ही तैयार कर लिए गए हैं। इससे पूरा सिस्टम डिजिटल और पारदर्शी रहेगा।

अब तक दो बार होती थी परीक्षा
अब तक ओपन स्कूल में परीक्षाएं साल में केवल दो बार मार्च-अप्रैल और अक्टूबर-नवंबर में होती थीं। इस तय समय के कारण कई छात्र परीक्षा से वंचित रह जाते थे या तैयारी के बावजूद परीक्षा नहीं दे पाते थे। अब इस लचीलापन भरी प्रणाली से छात्र जब चाहें, तब परीक्षा दें सकेंगे, जिससे शिक्षा में उनकी निरंतरता और आत्मविश्वास दोनों बढ़ेंगे।

छात्रों को मिलेंगे ये फायदे

  • अपनी सुविधा और तैयारी के अनुसार परीक्षा देने का अवसर
  • फेल होने या कम अंक आने पर दोबारा प्रयास का विकल्प
  • समय की बचत और मानसिक दबाव में कमी
  • डिजिटल आवेदन और केंद्र चयन की सुविधा
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