Education News: UGC-NET और CUET-UG परीक्षा में नहीं होगा नॉर्मलाइजेशन; नेट की परीक्षा 18 जून को, सीयूईटी यूजी का हाइब्रिड मोड में होगा एग्जाम

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Education News: CUET-UG और UGC-NET जैसे एग्जाम के पैटर्न में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। हाल ही में UGC चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने कहा है कि अब हर सब्जेक्ट के लिए एक सिंगल शिफ्ट में एक ही दिन एग्जाम कंडक्ट कराया जाएगा। इससे स्कोर नॉर्मलाइजेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

Education News: CUET-UG और UGC-NET जैसे एग्जाम के पैटर्न में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। हाल ही में UGC चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने कहा है कि अब हर सब्जेक्ट के लिए एक सिंगल शिफ्ट में एक ही दिन एग्जाम कंडक्ट कराया जाएगा। इससे स्कोर नॉर्मलाइजेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब तक अलग-अलग दिन और अलग-अलग शिफ्टों में एग्जाम होने की वजह से स्कोर को नॉर्मलाइज करने के बाद रिजल्ट डिक्लेयर करने के लिए एक कॉमन मेरिट लिस्ट बनाई जाती थी।

हाइब्रिड मोड में होगा CUET-UG एग्जाम
इस साल 15 से 24 मई के बीच CUET-UG एग्जाम होंगे। इस बार 7 दिनों के अंदर 16 शिफ्ट्स में कुल 63 सब्जेक्ट्स में हाइब्रिड मोड में एग्जाम लिए जाएंगे। 48 सब्जेक्ट्स में ऑनलाइन CBT मोड में एग्जाम लिया जाएगा जबकि 15 सब्जेक्ट्स में पेन-पेपर मोड में ये एग्जाम होगा।

जानिए कैसे होता है नॉर्मलाइजेशन
दरअसल, अलग-अलग सेशन में एग्जाम देने वाले टोटल नंबर ऑफ स्टूडेंट्स और क्वेश्चन पेपर के डिफिकल्टी लेवल के बेसिस पर स्कोर को नॉर्मलाइज किया जाता है। लंबे समय से स्टूडेंट्स का एक हिस्सा नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ था। कुछ स्टूडेंट्स का मानना था कि इससे उनके स्कोर पर खराब असर पड़ता है। हालांकि, UGC ने साफ किया है कि नॉर्मलाइजेशन एक साइंटिफिक प्रोसेस है और इससे रिजल्ट जारी करने में आसानी होती है।

पेन पेपर मोड में एग्जाम सेंटर बनाने में आसानी होगी
UGC चेयरमैन ने कहा कि इस साल एग्जाम ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन (OMR) शीट में मल्टीप्ल चॉइस क्वेश्चन के फॉर्मेट में एग्जाम लिए जाएंगे। इससे एक ही दिन सिंगल शिफ्ट में एग्जाम कराना आसान हो जाएगा। इसके अलावा पेन पेपर मोड में टेस्ट होने से देश के पिछड़े इलाकों तक एग्जाम सेंटर बनाए जा सकेंगे और ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स एग्जाम दे पाएंगे।

16 जून को सिंगल शिफ्ट में होगा UGC-NET एग्जाम
UGC-NET का एग्जाम भी एक ही दिन सिंगल शिफ्ट में कराया जाएगा। इससे ओवरऑल टेस्टिंग विंडो कम होगा और एग्जाम कंडक्ट कराने की प्रोसेस आसान हो जाएगी। पेन-पेपर मोड में टेस्ट होने से कंप्यूटर बेस्ड एग्जाम सेंटर बनाने की जरूरत नहीं होगी और ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स एग्जाम दे सकेंगे।

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