भूमिगत जल में घुल रहा है जहर, सरकार प्रदूषण फैलाने वाली इकाईयों को रोकने में नाकाम

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने भूजल की गुणवत्ता को बहाल करने के लिए प्रभावित राज्यों के लिए मेगा स्कीमें बनाई हैं, लेकिन भूमि के जल में आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट लोहा, के अलावा सीसा, क्रोमियम और कैडमियम जैसी भारी धातु तेजी के साथ घुलता जा रहा है। राज्यों में ऐसे संदूषित जल की नियमित निगरानी करने वाले केंद्रीय भूमि जल बार्ड भी मान चुका है कि देश में प्रभावित इलाकों के लोग विशुद्ध यानि जहरीला पानी पीने के लिए मजबूर हैं।
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केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा जारी की गई ताजा रिपोर्ट में भूमि जल की गुणवत्ता वाले आंकड़े पर नजर डाली जाए तो दस राज्य आर्सेनिक, बीस राज्य फ्लोराइड, 21 राज्य नाइट्रेट, 24 राज्य लोहा तथा 15 राज्य सीसा, क्रोमियम और कैडमियम जैसी भारी धातु के भूजल से ग्रस्त हैं। इन राज्यों के विभिन्न इलाकों में जहरीले पदार्थों के मिर्शण वाले भूमि जल का पीने के लिए उपयोग करते हैं।
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केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों की माने तो इन राज्यों के भूजल में विषैले पदार्थों की सांद्रता भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानकों से कहीं अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मौजूदा केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेशल कार्यक्रम के तहत आबंटित निधि का 20 प्रतिशत जल गुणवत्ता की समस्याओं के लिए निर्धारित किया है, वहीं इस समस्या से निपटने के लिए तैयार की गई मेगा स्कीम को राज्यों से लागू करने को कहा गया है, जिसमें विषैले तत्वों से प्रभावित इलाकों खासकर आवासीय स्थलों पर सामुदायिक जल उपचार संयंत्रों की स्थापना और कम से कम एक व्यक्ति को प्रतिदिन दस लीटर सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने को कहा गया है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भूजल को दूषित होने से बचाने के लिए जल गुणवत्ता आकलन प्राधिकरण का गठन करके इस समस्या से निपटने के प्रयासों की दुहाई दी है।
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