गंगा पुनर्जीवन योजना पर चर्चा, उमा ने वैज्ञानिकों के साथ नदी से जुड़े मुद्दों पर किया विचार-विमर्श

गंगा पुनर्जीवन योजना पर चर्चा, उमा ने वैज्ञानिकों के साथ नदी से जुड़े मुद्दों पर किया विचार-विमर्श
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अंतिम इच्छा लकड़ियों से दाह संस्कार कराए जाने की है तो यह सुनिश्चित किया जाए कि वह कम से कम लकड़ियों से हो।

नागपुर. गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता की निगरानी के संबंध में एनईईआरआई द्वारा सौंपे गए एक प्रस्ताव के बाद इस विषय पर चर्चा हुई। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा पुनर्जीवन मामलों की केंद्रीय मंत्री ने गोमुख से हुगली तक गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता की निगरानी तथा तलछट विश्लेषण संबंधी गतिविधियों की समीक्षा की जिसका संस्थान ने प्रस्ताव किया था।

समीक्षा के बाद उमा भारती ने एनईईआरआई को अध्ययन में ऐसे मापदंडों को शामिल किए जाने की सलाह दी जिनका मानव और समुद्री जीवन पर सीधा प्रभाव हो। उमा भारती ने इसके साथ ही संस्थान को आर्सेनिक के अध्ययन को भी शामिल करने के निर्देश दिए जो मानव जीवन के साथ ही समुद्री जीवन के प्रति भी एक प्रमुख चिंता का विषय है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि आधी जली हुई लकड़ी नदी में नहीं फेंकी जाए, श्मशानघाट के डिजायन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जहां तक दाह संस्कार की बात है तो दोनों की विकल्प- लकड़ियों से दाह संस्कार और इलेक्ट्रिक दाह संस्कार खुले हैं। उन्होंने कहा, यदि किसी की अंतिम इच्छा लकड़ियों से दाह संस्कार कराए जाने की है तो यह सुनिश्चित किया जाए कि वह कम से कम लकड़ियों से हो। मैंने हमेशा ही एक ऐसे डिजायन की बात की है जिसमें कम लकड़ियां खपत होती हों। यदि साधु हमसे कहते हैं कि इलेक्ट्रिक दाह संस्कार ठीक है तो हमें दोनों तरह के दाह संस्कार सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पूजा सामग्रियों के विसर्जन पर कोई रोक नहीं होगी। लेकिन र्शद्धालुओं की नजर से दूर जाल से इन सामग्रियों को निकाला जा सकता है। इसमें एनजीओ और नगर निकाय शामिल हो सकते हैं।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, अब नदी किनारे नही होगा दाह संस्कार-
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