अब सिंगल पैरेंट्स को भी आसानी से मिलेगा पासपोर्ट
अब उन्हें इसके लिए आवेदन करते वक्त एप्लीकेशन फॉर्म में माता-पिता दोनों का नाम लिखने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

पार्सपोर्ट के लिए एप्लाई करने वाले सिंगल पेरेंटस के लिए एक अच्छी खबर है कि अब उन्हें इसके लिए आवेदन करते वक्त एप्लीकेशन फॉर्म में माता-पिता दोनों का नाम लिखने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
बल्कि विभाग सिंगल पेरेंटस को भी सीधे पार्सपोर्ट जारी कर देगा। इस फैसले के पीछे छिपी हुई एक खास बात यह है कि यह बदलाव सरकार के किसी विभाग की पहल पर नहीं।
बल्कि दिल्ली की रहने वाली एक साधारण सी महिला प्रियंका गुप्ता के जज्बे ने कर दिखाया है। प्रियंका की तरह ही देश की 9 और महिलाएं भी हैं, जिन्होंने अपने अनुभवों से समाज में महिलाओं के लिए बदलाव की नींव रखने का फैसला लिया है।
बीते दिनों इन सभी महिलाओं से केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने मुलाकात की और इनके प्रयासों की सराहना की।
समाज में चेंज आइकॉन बनी इन महिलाओं ने सी-सेक्शन, गाइडलाइंस फॉर मेटरीमोनियल वेबसाइट, टैक्स-फ्री सेनेट्री नेपकिन, हेग कनवेंशन ऑन चाइल्ड एब्डक्शन, कैब सेफ्टी जैसे विषयों को संचार के अलग-अलग माध्यमों के जरिए समाज व सरकार के उठाया था।
एक साल तक चलाया कैंपेन
प्रियंका ने हरिभूमि से बातचीत में कहा में कि मैं एक सिंगल पेरेंटस हूं। मुझे कुछ समय पहले अपने बच्चे के साथ बाहर जाने के लिए पार्सपोर्ट की जरूरत थी।
लेकिन पार्सपोर्ट अथोरिटी ने मुझे यह कहते हुए पार्सपोर्ट देने से मना कर दिया कि मैं एक सिंगल पेरेंटस हूं। इसलिए मुझे पासपोर्ट नहीं दिया जाएगा। इसके पीछे उन्होंने एक वजह भी बतायी कि पासपोर्ट के लिए आवेदन के समय जो फॉर्म भरा जाता है।
उसमें अभिभावक के कॉलम में माता-पिता दोनों का नाम देना अनिवार्य होता है। इसके बाद मैंने सिंगल पेरेंटस को भी पासपोर्ट की सुविधा दिए जाने के लिए बीते वर्ष 2016 से एक ऑनलाइन कैंपेन ‘पासपोर्ट रिफॉर्म्स फार वीमेन’ की शुरुआत की। इसे बड़ी तादाद में आम लोगों का समर्थन भी मिला।
मेनका की पहल पर बदलाव
कैंपेन के लिंक को मैंने ट्वीटर पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को टैग भी किया था।
इनमें से मेनका गांधी ने विषय पर गंभीरता दिखाई और एक ट्वीट के जरिए इस मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को जानकारी दी।
इसके बाद सुषमा ने मेनका को इस बदलाव के बारे में बताते हुए कहा कि इस बाबत मंत्रालय द्वारा नियम बना लिया गया है, जिससे सिंगल पेरेंटस को पासपोर्ट के लिए एप्लाई करते वक्त अब कोई दिक्कत नहीं होगी। जैसे ही मुझे इस बदलाव की सूचना मिली तो मुझे लगा कि मेरी 365 दिनों की मेहनत आखिरकार रंग लाई है।
एससी-एसटी सर्टिफिकेट में राहत
पासपोर्ट की तरह सिंगल पेरेंटस को मेनका गांधी की पहल पर जल्द ही एक और राहत मिलने जा रही है, जिसमें एससी-एसटी सर्टिफिकेट भी अब पिता के नाम के बिना बनाया जा सकेगा।
इसके लिए दिल्ली की रहने वाली सिंगल पेरेंटस मोनिका ने महिला एवं बाल विकास मंत्री को अप्रैल महीने में ट्वीटर पर एक संदेश भेजा था।
इसके जवाब में मंत्री ने उन्हें इसके लिए कुछ समय देने की मांग करते हुए मामले को हल करने की बात कही थी। मोनिका ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि कुछ दिन पहले मंत्रालय की तरफ से उन्हें बताया गया है कि इस बाबत बीते 12 मई को मेनका गांधी की संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ एक बैठक हो चुकी है।
जल्द ही इस समस्या का हल निकाल लिया जाएगा। जिसके बाद सर्टिफिकेट को केवल मां के नाम से भी जारी किया जा सकेगा। मोनिका का कहना है कि इस कवायद के बाद उनके बच्चों को स्कूल में दाखिला लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
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